Friday, September 21, 2018

बाप का नाम

भगवान श्रीराम का दरबार लगा हुआ था। कटघरे में एक विधवा थी जो चार माह के पेट से थी। गुरु विश्वामित्र ने विधवा की ओर मुखातिब हो उसके पेट में पल रहे नाजायज बच्चे के पिता का नाम जानना चाहा। विधवा को गुरु विश्वामित्र के प्रश्न से कोई आश्चर्य नहीं हुआ। उसने कहा कि वह बच्चे के पिता नाम नहीं बतला सकती क्योंकि वह एक प्रतिष्ठित आदमी है। गुरु विश्वामित्र ने तब भी उसे बच्चे के पिता का नाम बतलाने को कहा।
जवाब में विधवा ने कहा- "मुनिवर, मेरे बच्चे के पिता का नाम पूछ रहे हैं। किन्तु क्या वे स्वयं अपने पिता का नाम जानते हैं ? विधवा के इतना पूछते ही दरबार में सन्नाटा छा गया। किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था। स्थिति संभालते हुए भगवान राम झल्लाकर बोले- हम अपने राजगुरु की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकते ? विधवा सहम गई। किसी तरह साहस बटोर उसने धीरे से कहा कि भगवान राम ही अपने असली पिता का नाम बता दें ? इतना सुनना था कि छोटे भाई लक्ष्मण ने म्यान से तलवार निकाल ली और कहा-  तुने बडे भाई का अपमान किया है, तुझे जिन्दा नही छोडूँगा ? 
विधवा सिर से पाँव तक काँप गई। तब भी उसने हिम्मत बटोर कर कहा- क्या छोटे भ्राता लक्ष्मण अपने असली पिता का नाम जानते हैं ? दरबार में सभी किसी भयानक आशंका से बुरी तरह सहमे हुए थे। अब स्थिति संभालने की बारी सीता की थी। स्त्रीगत मनोदशा को भांपते हुए सीता ने कहा- तब भी तुझे देवर लक्ष्मण का अपमान करने की धृष्टा करने की जरुरत नहीं थी। 
इस पर  विधवा ने कहा- ठीक है किन्तु क्या देवी सीता अपने पिता का नाम गुरु विश्वामित्र को बतलाएगी ? विधवा की हिम्मत देख पवनसुत कहे जाने वाले हनुमान ने मोर्चा संभाला- तूने तीनों लोकों के नियंता भगवान राम के साथ जनक नंदनी माता सीता का अपमान किया है। मैं इसी गदा से तुझे अभी यहीं जमीन मे जिन्दा गाड़ दूंगा। 
इस पर फुंफकारते हुए विधवा ने कहा- जरुर गाड़ देना किन्तु यहाँ बैठे लोगों को पहले अपने पिता का नाम तो बता दो ?  और  सधे कदमों से विधवा उठी और दरबार से निकलते हुए कहा-  "यहाँ सबके सब नाजायज बाप की औलाद हैं और मेरे बच्चे के बाप का नाम पूछ रहे हैं !

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