बी टेक के छात्र-छात्रा कर्नाटक में प्रशिक्षु थे। दोनों में प्रेम हो गया। छात्रा ब्राह्मण समाज से थी, वही छात्र जाटव समाज से था। बी. टेक. की पढ़ाई पूरी करके छात्र भारतीय प्रशासनिक सेवा से चुन कर जिलाधिकारी नियुक्त हुआ। बात विवाह की चली तो युवक ने अपनी उस सहपाठी छात्रा का नाम प्रस्तावित किया। छात्रा के माता-पिता सहर्ष तैयार हो गए और विवाह संपन्न हो गया ।
विवाह के दो वर्ष बाद जिलाधिकारी की पत्नी से उनकी एक महिला मित्र -
"मैं तो मेरठ की हूँ, आपका तो मेरठ में ससुराल है ?
"है तो, पर मैं वहां जाती नहीं हूँ। "
" क्यों ? ऐसी क्या बात है ! कलेक्टर साहब का परिवार तो बहुत अच्छा है ?"
" परिवार से क्या होता है, है तो चमार ही। "( स्रोत- लेख 'बाबासाहब अम्बेडकर और अंतर्जातीय विवाह' द्वारा नानकचंद हरित, सेवानिवृत न्यायाधीश: स्मारिका 2012 संपा. बी. आर. बुद्धप्रिय बरेली उ. प्र. )
No comments:
Post a Comment