Sunday, April 15, 2018

बुढ़िया

बुढ़िया  
एक बुढ़िया बुक-स्टॉल पर पुस्तकें उलट-पलट रही थी। पुस्तकें उलटने-पलटने के अंदाज से बुक-स्टॉल वाले को शक हुआ कि वह पढ़ना-लिखना भी  जानती है या नहीं?
"अम्माजी,  आपको कौन सी पुस्तक चाहिए ?"
"मुझे ये दो पुस्तकें चाहिए। " -बुढ़िया ने पुस्तकों पर छपी भगवान् बुद्ध और बाबासाहब की फोटों देख कर निर्णायक स्वर में कहा।
"अच्छा-अच्छा, लाओ मैं देता हूँ। "
"अम्माजी, तुम पढ़ना जानती हो ?" -पुस्तकों पर छपी कीमत देख उसने बुढ़िया से पूछा।
"मुझे कहाँ पढ़ना आता है, बेटा !" उस समय तो हमारे लिए स्कूल के दरवाजे बंद थे। बुढ़िया ने लम्बी सांस लेते हुए कहा।
"फिर आप किस लिए पुस्तकें खरीद रही हो ?" -आश्चर्य-मिश्रित बुक स्टॉल वाले ने पूछा।
"मुझे पढ़ना नहीं आता तो क्या हुआ, मेरे नाती को तो आता है। वह पढ़ेगा और मुझे पढ़कर सुनाएगा।" बुढ़िया ने साड़ी के पल्लू में लगी गांठ खोल कर बुक स्टॉल वाले को पुस्तक के दाम देते हुए कहा। " (स्रोत- धम्मचक्र प्रवर्तन के बाद के परिवर्तन: डॉ प्रदीप आगलावे ; सम्यक प्रकाशन दिल्ली)
-अ. ला. ऊके 

No comments:

Post a Comment