आज, दलित राजनीति का नाम ही 'बहुजन समाज पार्टी' है। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्य. कांशीराम थे।
1978 में डी के खापर्डे के साथ मिल कर कांशीराम ने 'बामसेफ' का गठन किया। भारतीय रिपब्लिकन पार्टी नेताओं के गुटबाजी के कारण महाराष्ट्र के बहुत से अनु सूचित जाति-जन जाति के कर्मचारी और अधिकारीयों ने कांशीराम का तन मन और धन से साथ दिया ।
14 अप्रेल 1984 ; डा अम्बेडकर जयंती के दिन मान्य कांशीराम ने 'बहुजन समाज पार्टी' की स्थापना की। उन्होंने अपना कार्य क्षेत्र उ प्र को बनाया। रिपब्लिकन पार्टी में रहते हुए बुद्धप्रिय मौर्य ने उ प्र काफी काम था। किन्तु उनके कांग्रेस में चले जाने के कारण नेतृत्वहीनता के चलते 1969 के बाद यहाँ पार्टी काफी कमजोर हो गई थी।
1989 में हुए नौवें लोक सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 3 सीटें मिली। ये सीटें थी- उत्तर प्रदेश के बिजनौर से मायावती, आज़मगढ़ से रामकृष्ण और फिल्लौर (पंजाब) से हरभजन लाखा। देश में हुए कुल मतदान में 2. 47 % मत पार्टी को मिले थे। उत्तर प्रदेश विधान सभा में 13 विधायक पहुंचे थे।
जून 1991 के 10 वे लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटें मिलीं, किन्तु पार्टी के कई उम्मीदवार दूसरे अथवा तीसरे स्थान पर थे। विजयी दो सीटों में स्वयं कांशीरामजी उ प्र के इटावा (सामान्य) और भीमसिंह पटेल मध्य प्रदेश के रीवा सीट चुन कर आए थे।
उ प्र में 1993 के विधान सभा चुनाव में पार्टी को 67 सीटों पर सफलता मिलीं। यहाँ पार्टी का मत प्रतिशत 19. 64 % था। वही, वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में 11 सीटों पर सफलता प्राप्त हुई। इस चुनाव में पार्टी को देश भर के मत प्रतिशत में 4. 2 % मत मिले थे। स्पष्ट है, उ प्र के साथ देश के अन्य भागों में बहुजन समाज पार्टी का अच्छा जनाधार बढ़ा था।
इसके 2 वर्ष बाद फर 1998 में 12 वीं लोकसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को यद्यपि 5 सीटें मिलीं जिस में 4 सीटें उ प्र और 1 हरियाणा से थी किन्तु इस चुनाव में पार्टी का मत प्रतिशत 4. 2 से बढ़कर 4. 67 % हो गया था।
अक्टू 1999 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 14 सीटों पर सफलता हासिल की थी। इस में विशेष बात यह थी कि इस 14 स्थानों में 9 सीटें सामान्य और 5 सीटें आरक्षित थी। पार्टी ने 4. 16% मत प्राप्त कर देश के राजनैतिक दलों में चौथा स्थान प्राप्त किया था । इस बार खास बात यह थी कि 14 विजयी उम्मीदवारों में 3 मुस्लिम उम्मीदवार थे।
वर्ष 2002 के उ प्र विधान सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के 98 उम्मीदवार विजयी हुए जिस में इसका मत प्रतिशत 23. 06% रहा । मई 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को 19 सीटें प्राप्त हुई जिस मत प्रतिशत 5. 33% था।
सन 2007 के उत्तर प्रदेश विधान सभा में बहुजन समाज पार्टी ने कुल 403 सीटों में चुनाव लड़ा और 206 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया। इस चुनाव में पार्टी को 30. 43% मत हासिल हुए। इतिहास में पहली बार कुमारी मायावती स्वयं के बल पर स्पष्ट बहुमत से इस देश के सबसे बड़े राज्य उ प्र की मुख्यमंत्री बनी।
बहुजन समाज पार्टी के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने से एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन हुआ। गावं-देहात के जो लोग बाबासाहब डा. अम्बेडकर के अनुयायी होकर भी हिन्दुओं की तरह आचरण करते थे, खुले रूप में बुद्धिस्टों जैसे आचरण करने लगे, सार्वजनिक कार्यक्रम करने लगे। यही नहीं, इस तरह का प्रभाव अन्य राज्यों पर भी पड़ा।
1978 में डी के खापर्डे के साथ मिल कर कांशीराम ने 'बामसेफ' का गठन किया। भारतीय रिपब्लिकन पार्टी नेताओं के गुटबाजी के कारण महाराष्ट्र के बहुत से अनु सूचित जाति-जन जाति के कर्मचारी और अधिकारीयों ने कांशीराम का तन मन और धन से साथ दिया ।
14 अप्रेल 1984 ; डा अम्बेडकर जयंती के दिन मान्य कांशीराम ने 'बहुजन समाज पार्टी' की स्थापना की। उन्होंने अपना कार्य क्षेत्र उ प्र को बनाया। रिपब्लिकन पार्टी में रहते हुए बुद्धप्रिय मौर्य ने उ प्र काफी काम था। किन्तु उनके कांग्रेस में चले जाने के कारण नेतृत्वहीनता के चलते 1969 के बाद यहाँ पार्टी काफी कमजोर हो गई थी।
1989 में हुए नौवें लोक सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 3 सीटें मिली। ये सीटें थी- उत्तर प्रदेश के बिजनौर से मायावती, आज़मगढ़ से रामकृष्ण और फिल्लौर (पंजाब) से हरभजन लाखा। देश में हुए कुल मतदान में 2. 47 % मत पार्टी को मिले थे। उत्तर प्रदेश विधान सभा में 13 विधायक पहुंचे थे।
जून 1991 के 10 वे लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटें मिलीं, किन्तु पार्टी के कई उम्मीदवार दूसरे अथवा तीसरे स्थान पर थे। विजयी दो सीटों में स्वयं कांशीरामजी उ प्र के इटावा (सामान्य) और भीमसिंह पटेल मध्य प्रदेश के रीवा सीट चुन कर आए थे।
उ प्र में 1993 के विधान सभा चुनाव में पार्टी को 67 सीटों पर सफलता मिलीं। यहाँ पार्टी का मत प्रतिशत 19. 64 % था। वही, वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में 11 सीटों पर सफलता प्राप्त हुई। इस चुनाव में पार्टी को देश भर के मत प्रतिशत में 4. 2 % मत मिले थे। स्पष्ट है, उ प्र के साथ देश के अन्य भागों में बहुजन समाज पार्टी का अच्छा जनाधार बढ़ा था।
इसके 2 वर्ष बाद फर 1998 में 12 वीं लोकसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को यद्यपि 5 सीटें मिलीं जिस में 4 सीटें उ प्र और 1 हरियाणा से थी किन्तु इस चुनाव में पार्टी का मत प्रतिशत 4. 2 से बढ़कर 4. 67 % हो गया था।
अक्टू 1999 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 14 सीटों पर सफलता हासिल की थी। इस में विशेष बात यह थी कि इस 14 स्थानों में 9 सीटें सामान्य और 5 सीटें आरक्षित थी। पार्टी ने 4. 16% मत प्राप्त कर देश के राजनैतिक दलों में चौथा स्थान प्राप्त किया था । इस बार खास बात यह थी कि 14 विजयी उम्मीदवारों में 3 मुस्लिम उम्मीदवार थे।
वर्ष 2002 के उ प्र विधान सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के 98 उम्मीदवार विजयी हुए जिस में इसका मत प्रतिशत 23. 06% रहा । मई 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को 19 सीटें प्राप्त हुई जिस मत प्रतिशत 5. 33% था।
सन 2007 के उत्तर प्रदेश विधान सभा में बहुजन समाज पार्टी ने कुल 403 सीटों में चुनाव लड़ा और 206 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया। इस चुनाव में पार्टी को 30. 43% मत हासिल हुए। इतिहास में पहली बार कुमारी मायावती स्वयं के बल पर स्पष्ट बहुमत से इस देश के सबसे बड़े राज्य उ प्र की मुख्यमंत्री बनी।
बहुजन समाज पार्टी के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने से एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन हुआ। गावं-देहात के जो लोग बाबासाहब डा. अम्बेडकर के अनुयायी होकर भी हिन्दुओं की तरह आचरण करते थे, खुले रूप में बुद्धिस्टों जैसे आचरण करने लगे, सार्वजनिक कार्यक्रम करने लगे। यही नहीं, इस तरह का प्रभाव अन्य राज्यों पर भी पड़ा।
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