ऐ मानव तू रे
कर खुले दिल से, दान।
दानी जगत में, हुए बड़े नामी
कर अपना तू अब नाम ।
दान से चलता धम्म जगत में
दान ने किए बड़े काम।
दान से मंदिर, दान से मस्जिद
दान से बोधगया धाम।
दान से धम्म है, दान से संघ है
सबसे बड़ा धर्मदान।
दान पारमिता, सबसे आगे
दान ही है , निर्वाण।
- अ. ला. ऊके 21 दिस 2014
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