Monday, December 9, 2019

'स्तन कर'

नंगेली का नाम केरल के बाहर शायद किसी ने न सुना हो. किसी स्कूल के इतिहास की किताब में उनका ज़िक्र या कोई तस्वीर भी नहीं मिलेगी.
लेकिन उनके साहस की मिसाल ऐसी है कि एक बार जानने पर कभी नहीं भूलेंगे, क्योंकि नंगेली ने स्तन ढकने के अधिकार के लिए अपने ही स्तन काट दिए थे.Image may contain: 2 people, people standing and outdoor
केरल के इतिहास के पन्नों में छिपी ये लगभग सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी कहानी उस समय की है जब केरल के बड़े भाग में ब्राह्मण त्रावणकोर के राजा का शासन था.
जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी थीं और निचली जातियों की महिलाओं को उनके स्तन न ढकने का आदेश था. उल्लंघन करने पर उन्हें 'ब्रेस्ट टैक्स' यानी 'स्तन कर' देना पड़ता था.
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकॉलॉजी और दलित स्टडीज़ की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शीबा केएम बताती हैं कि ये वो समय था जब पहनावे के कायदे ऐसे थे कि एक व्यक्ति को देखते ही उसकी जाति की पहचान की जा सकती थी ।
डॉ. शीबा कहती हैं, "ब्रेस्ट टैक्स का मक़सद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था. ये एक तरह से एक औरत के निचली जाति से होने की कीमत थी. इस कर को बार-बार अदा कर पाना इन ग़रीब समुदायों के लिए मुमकिन नहीं था."
केरल के हिंदुओं में जाति के ढांचे में नायर जाति को शूद्र माना जाता था जिनसे निचले स्तर पर एड़वा और फिर दलित समुदायों को रखा जाता था ।
"कर मांगने आए अधिकारी ने जब नंगेली की बात को नहीं माना तो नंगेली ने अपने स्तन ख़ुद काटकर उसके सामने रख दिए."
लेकिन इस साहस के बाद ख़ून ज़्यादा बहने से नंगेली की मौत हो गई. बताया जाता है कि नंगेली के दाह संस्कार के दौरान उनके पति ने भी अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी ।
"उन्होंने अपने लिए नहीं बल्कि सारी औरतों के लिए ये कदम उठाया था"
नंगेली आपकी अमर गाथा लिखी जाएगी सुनहरे अक्षरो मे मनुवाद और ब्राह्मणवाद का यह ऐसा कर्कश दृश्य था कि एक औरत को उसकी जाती के आधार पर उसके स्तन तक को न ढकने दिया हो । सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते है ।
*Note- ये कुप्रथा महान टीपूँ सुल्तान ने बंध करवाई थी।*

No comments:

Post a Comment