Thursday, September 5, 2019

'ललितविस्तर' एक ब्राह्मण ग्रन्थ

'ललितविस्तर' एक ब्राह्मण ग्रन्थ 
बुद्धचरित के लिए आदि ग्रन्थ ललितविस्तर माना जाता है। यह पहली सदी का ग्रन्थ है. जैसे कि 'ब्राह्मणी ग्रंथों' के साथ होता है, इसके रचियता का भी पता नहीं है। लेखक का पता न होने से उसे 'ईश्वर कृत' मानने में सोहलीयत होती है! फिर आपको, उसमें लिखी बातों पर जनता में यकीन कराने 'किसी थर्ड डिग्री' की आवश्यकता नहीं होती। 

ललितविस्तर, एक काव्य-ग्रन्थ है। यह संस्कृत में लिखा गया है। यद्यपि यह सभी अहर्ताएं पूरी करता है, परन्तु, चूँकि इसमें बुद्धचरित है, इसलिए यह 'महाकाव्य' नहीं हो सकता। बुद्ध, ब्राह्मणवाद के विरुद्ध जो थे ? तमाम मान-सम्मान प्रतिष्ठानों के ठेकेदार ब्राह्मण, भला वे अपने विरोधी के द्वारा लिखे ग्रन्थ को 'महाकाव्य' का सम्मान क्यों देने लगे ? फिर चाहे, नशे की पिनक में उलुल-जलुल कथा-कहानियां लिखने वाले उनके अपने स्व-जातीय ब्राह्मण ही क्यों न हों ? अपने वर्गीय-हितों के विरुद्ध वे ऐसा 'पाप' कैसे कर सकते हैं ?

ललितविस्तर के रचनाकार का भले ही पता न हो, किन्तु इतना तो तय है, वह ब्राह्मण ही है। क्योंकि बुद्ध के जन्म बारे में, जिसे विष्णु का अवतार कहा गया हो, एक ब्राह्मण ही लिख सकता है कि जिस काल में ब्राह्मण बढे-चढ़े होते हैं तो ब्राह्मण कुल में, क्षत्रिय बढे-चढ़े होते हैं तो क्षत्रीय कुल के अलावा अन्यत्र किसी हीन/चाण्डाल कुल में जन्म नहीं ले सकते(कुलशुद्धि परवर्त:ललित विस्तर) ? 

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