आज, सुबह-सुबह मैं दूध का पेकेट लेने गया। दुकानदार, दुकान छोड़ अपनी बाईक पानी से धो रहा था। मेरी और देख कर वह मुस्कराया- "सर, आज विश्वकर्मा पूजा है। "
"ओह ! तुम विश्वकर्मा पूजा करते हो ?" -मैंने थोड़े आश्चर्य से कहा
"जी, यह हमारा त्यौहार है। परम्परा से चला आ रहा है। "
"आप नहीं मनाते क्या ?" उसने वही से पूछा।
"नहीं, हम नहीं मनाते। हमें तो पता ही नहीं है कि विश्वकर्मा कौन है ?" मैंने थोड़े आश्चर्य से उसकी और देखा।
"सर, हम हिन्दू हैं और हिन्दू; विश्वकर्मा पूजा करते हैं, इतना ही मैं जानता हूँ। "
"ओह ! तुम विश्वकर्मा पूजा करते हो ?" -मैंने थोड़े आश्चर्य से कहा
"जी, यह हमारा त्यौहार है। परम्परा से चला आ रहा है। "
"आप नहीं मनाते क्या ?" उसने वही से पूछा।
"नहीं, हम नहीं मनाते। हमें तो पता ही नहीं है कि विश्वकर्मा कौन है ?" मैंने थोड़े आश्चर्य से उसकी और देखा।
"सर, हम हिन्दू हैं और हिन्दू; विश्वकर्मा पूजा करते हैं, इतना ही मैं जानता हूँ। "
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