धार्मिक गुलामी-
हिन्दू; बुद्ध विहारों में नहीं जाते, वाल्मीकि मंदिरों नहीं जाते, रविदास मंदिरों में नहीं जाते, आदिवासियों के पूजा-स्थल 'पेनगढों' में नहीं जाते जबकि महार, चमार, वाल्मीकि, आदिवासी हिन्दू मंदिरों में जा कर न सिर्फ माथा टेकते हैं, घंटी बजाते हैं बल्कि उनके तीज-त्यौहार भी उतने ही हर्ष-उल्लास से मनाते हैं !
हिन्दू; बुद्ध विहारों में नहीं जाते, वाल्मीकि मंदिरों नहीं जाते, रविदास मंदिरों में नहीं जाते, आदिवासियों के पूजा-स्थल 'पेनगढों' में नहीं जाते जबकि महार, चमार, वाल्मीकि, आदिवासी हिन्दू मंदिरों में जा कर न सिर्फ माथा टेकते हैं, घंटी बजाते हैं बल्कि उनके तीज-त्यौहार भी उतने ही हर्ष-उल्लास से मनाते हैं !
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