पूर्व पदस्थ कार्यालय में मेरी सहकर्मी एक महिला अधिकारी थी. सभी उन्हें उनके नाम से ही जानते थे. इधर कुछ दिनों से उन्होंने अपनी नेम प्लेट बदल ली थी. नेमप्लेट में अब उन्होंने अपने नाम के आगे 'श्रीमति' जोड़ लिया था. मुझे शरारत सूझी.
"मैडम, अगर आप 'श्रीमती' न भी लिखती तो कोई हर्ज नहीं था." -मैंने टोका.
"इसमें हर्ज भी क्या है." मैडम मुस्कराई. वह मेरी कैफियत जानती थी.
"मैडम, आप अधिकारी है. आफिस में आपका दबदबा है. आपका अपना व्यक्तित्व है, आपकी अपनी पहचान है. 'श्रीमती' जतला कर कार्यालय में भी क्या आप पुरुष सरक्षण को नहीं ढो रही है ?" -मैंने कहा,
मैडम हडबड़ाई. थोडा संयत होकर बोली- "यह तो हमारी परम्परा है."
हमारे देश की महिलाएं जो अब पढ़-लिख कर डा और इंजिनियर बन गई हैं,वर्षों से चली आ रही परम्पराओं का किस तरह अदब करती है...मैं सोच रहा था.
No comments:
Post a Comment