Thursday, January 30, 2014

Barrister. Rajabhau D Khobragade

Barrister Rajabhau D Khobragade
एक समय बैरिस्टर राजाभाऊ देवाजी खोब्रागडे को बाबा साहब डॉ आंबेडकर का दायाँ हाथ कहा जाता था। वे सचमुच सही अर्थों में बाबा के वारिस थे। चाहे सामाजिक क्षेत्र हो या धार्मिक क्षेत्र हो।  चाहे लोगों को रिपब्लिकन पार्टी से जोड़ने का कार्य हो या फिर दलितों में शिक्षा के प्रसार का, राजाभाऊ खोब्रागडे तन कर बाबा साहब के पीछे खड़े होते थे।
बाबा साहब के ऐसे सिपहसालार का जन्म चंद्रपुर (महा.) में 25 सित 1925 को हुआ था।  आपके बचपन का नाम भाउराव था मगर प्यार से इन्हें राजाभाऊ कह कर लोग पुकारते थे। इनके पिताजी का नाम देवाजी खोब्रागडे था।  देवाजी खोब्रागडे एक खाते-पीते परिवार के थे।
एक बार बाबा साहेब भाषण दे रहे थे।  अपने लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समाज उन्हें एक-दो लडके चाहिए जिन्हें समाज के लिए कुछ करने लायक वे उन्हें बना सके। तब, देवाजी  ने भीड़ में से खड़े हो कर कहा था कि  बाबा साहब, ये मेरा लड़का लीजिए।  मैं इसे आपको देता हूँ।  वह लड़का राजाभाऊ खोब्रागडे ही था।
राजाभाऊ पढ़ने-लिखने में शुरू से ही होशियार था।  स्कूल और कालेज लाइफ़ में उसकी पढाई और निखर कर आई।  पढ़ने-लिखने के आलावा लीडरशिप के गुण राजाभाऊ में शुरू से ही थे।  सन 1943 से 1945 की अवधि में वे शेड्यूल्ड कास्ट स्टूडेंट फेडरेशन के वे महासचिव चुने गए।  आपने अपनी आवाज को लोगों तक पहुँचाने के लिए 'प्रजा सत्ता' नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन किया था। राजाभाऊ खोब्रागडे के पत्नी का नाम इंदुमती था।
 राजाभाऊ खोब्रागडे उच्च शिक्षा के लिए सन 1950 में लन्दन गए थे। वहां पर उन्होंने बार-एट -लॉ  की पढाई पूरी की।  बैरिस्टर  बन कर लन्दन से लौट आने के बाद राजाभाऊ ने अंतिम साँस तक बाबा साहब के मिशन के लिए काम किया जैसे कि उनके पिता की आज्ञा थी। तब बैरिस्टर बनाना बहुत बड़ी बात थी।  लोग चाहे जिस समाज के हो, उन्हें 'बैरिस्टर साहब' कह कर पुकारते थे।  दलित समाज में वे बाबासाहब डॉ आंबेडकर के बाद, दूसरे व्यक्ति थे जिन्होंने विदेश में जाकर बैरिस्टर होने की पढाई की थी।
Khobragade with Dr Ambedkar and other
colleagues of Independent labour Party
सामाजिक कार्यों में भागीदारी के कारण  सन 1952 में वे चंद्रपुर मुनिसिपल काउन्सिल के वाइस प्रेसिडेंस चुने गए थे।  सन 1954  में भंडारा से जब बाबा साहब ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था तब राजाभाऊ खोब्रागडे ने  कंधे से कंधा भिड़ा कर बाबा साहब का साथ दिया था।

बाबा साहब के द्वारा 14  अक्टू 1956 को नागपुर में ली गई ऐतिहासिक धम्म-दीक्षा के तुरंत बाद 16  अक्टू को चंद्रपुर में धम्मदीक्षा का एक बड़ा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था जिस में करीब एक लाख लोगों ने बाबा साहब के नेतृत्व में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। चंद्रपुर में सम्पन्न इस दूसरे एतिहासिक धम्म-दीक्षा कार्यक्रम के सूत्रधार बैरिस्टर राजाभाऊ खोब्रागडे ही थे ।
Dr Ambedkar, Gaikwad,Chitre,Khobragade during 
paying tribute on saint Eknath samadhi
बैरिस्टर राजाभाऊ खोब्रागडे ने दलितों में शिक्षा के प्रसार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।  आपने चंद्रपुर और ब्रम्हपुरी में डॉ बाबासाहब आंबेडकर के नाम की एजुकेशन सोसायटी स्थापित की। दीक्षा भूमि नागपुर में आपने 'डॉ बाबा साहब आंबेडकर कालेज ऑफ़ आर्ट्स , कामर्स एंड साइंस' की स्थापना की।
शुरुआत में दलितों की राजनैतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए जुला 1942 में 'शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन' नामक एक राजनैतिक पार्टी की स्थापना नागपुर अधिवेशन में की गई थी। पी एन राजभोज के बाद बैरिस्टर राजाभाऊ खोब्रागडे इसके महासचिव बनाए गए थे। पाठक ध्यान रखे, यही शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन बाबा साहब के देहांत के बाद  'रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इण्डिया ' की शक्ल में रूपांतरित किया गया।
राजाभाऊ खोब्रागडे ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इण्डिया के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया है, दलित समाज शायद ही उससे ऊऋण हो सके। बाबा साहब के देहांत के बाद वे पार्टी के महासचिव चुने गए थे।
राजा भाऊ खोब्रागडे ने दिस 1969  से लेकर अप्रैल 1972 की अवधि में राज्य सभा के डिप्टी स्पीकर का पद सुशोभित किया था। वे तीन बार सन 1958 ,1966  और 1978  में राज्य सभा के सदस्य चुने गए थे।
अप्रैल 23, 1984 को यह विभूति भी सदा सदा के लिए देश के दलितों को अलविदा कह गई। भारत सरकार ने ऐसी महान हस्ती के सम्मान में 11 नव 2009 को डाक टिकिट जारी कर देश के निर्माण में उनको याद किया ।

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