Sunday, December 9, 2018

बौद्ध धर्मान्तरण का प्रश्न ?

बौद्ध धर्मान्तरण का प्रश्न ?
भारतीय समाज धर्म के खानों में बंटा है है है. यहाँ बिना धर्म के आप रह नहीं सकते, कानूनी या व्यवहार में. यहाँ आपको किसी न किसी खाने में रहना होता है, वर्ना आप सरवाईव नहीं कर सकते. बौद्ध धर्म ही सबसे अच्छी च्वाईश थी, तब बाबासाहेब अम्बेडकर के पास. लगातार 30 वर्ष सतत मनन और अध्ययन के बाद 1956 में अन्तत; उन्होंने इस पर अमल किया. बात सिर्फ एक अकेले बाबासाहेब की नहीं थी, उनके दलित-शोषित समाज की थी, जिनके मानवीय अधिकारों का प्रश्न उनके अपने व्यक्तित्व से बड़ा था. 
प्रश्न, अम्बेडकर को प्रश्नगत करने या न करने का नहीं है, और न प्रश्न करने वाले की योग्यता और हैसियत का ? प्रश्न बेशक, किए जाने चाहिए. और होते रहेंगे. क्योंकि इससे चिंतन के नए-नए आयाम खुलते हैं. प्रश्न ति-पिटक में घुसे ब्राह्मणवाद से है, तो निस्संदेह उसे दूर किया जाना चाहिए और बाबासाहब अम्बेडकर द्वारा लिखित 'बुद्धा एंड हिज धम्मा' उसी दिशा में कदम था. किन्तु अगर प्रश्न अम्बेडकर मुव्हमेंट को कटघरे में करने का है तो उसके दुष्परिणामों की भी चिंता उसी सिद्दत से की जानी चाहिए. आरएसएस और विश्व-हिन्दू परिषद के लोग तो तके बैठे हैं, इसे डायलुट और दिशा-भ्रम करने ?

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