Monday, July 22, 2019

पुण्णमी आनिसंस

पुण्णमी आनिसंस(महिमा)
फुस्सी पुण्णमी (पौष)- राजा बिम्बिसार की धम्म-दीक्षा।
माघी पुण्णमी(माघ)- बुद्ध के द्वारा अपने महापरिनिब्बान की घोषणा।
फग्गुणी पुण्णमी(फाल्गुन)- राहुल और नन्द की धम्म-दीक्षा।
चेत्ती पुण्णमी(चेत)- सुजाता द्वारा बुद्ध को खीर-दान, कालामो को कालाम-सुत्त उपदेश।
वेसाखी पुण्णमी(वैशाख)- (बुद्धपूर्णिमा) जन्म, सम्बोधि प्राप्ति और महापरिनिब्बान।
जेट्ठी पुण्णमी(ज्येष्ठ)- संघमित्रा द्वारा सिंहलद्वीप के अनुराधापुर में बोधिवृक्ष की शाखा
का प्रत्यारोपण/सुजाता को धम्म-उपदेश।
आसाढ़ी पुण्णमी(आषाढ़)- महामाया देवी द्वारा गर्भ-धारण, अभिनिष्क्रमण(गृह-त्याग), इसिपतन
                        के मिगदाय में पांच समणों को प्रथम धम्मोपदेश, वस्सावास प्रारम्भ।
सावनी पुण्णमी(श्रावण)- अंगुलिमाल की धम्मदीक्षा, प्रथम धम्म-संगीति।
भद्दपदी पुण्णमी(भाद्र-पद)- वस्सावास(मधु पूर्णिमा)।
अस्सिनी पुण्णिमी(अश्विन)- वस्सावास समापन/पवारणा।
कत्तिकी पुण्णमी (कार्तिक)- सारिपुत्त परिनिर्वाण/महामोग्गलायन की ब्राह्मणों द्वारा निर्मम हत्या
(घटना ई. पू. 485-84ः राहुल सांकृत्यायनः बुद्धचर्या)।
मग्गसिसी पुण्णमी(मार्ग-शीर्ष)-नालागिर हाथी पर विजय, संघमित्रा की उपसम्पदा।
.............................................
सिद्धार्थ का जन्म- पुष्य नक्षत्रा( शुक्रवार 12 बजे दोपहर), वैशाख पूर्णिमा ई. पू. 563, लुम्बिनी
धम्मचक्कप्पवत्तन- आषाढ़ पूर्णिमा ई. पू. 528, ऋषिपतन मृगदाय(सारनाथ)
महापरिनिब्बान- वैशाख पूर्णिमा, ई. पू. 483(ई. पू. 486, रोमिला थापरः प्राचीन भारत का इतिहास) कुशीनारा

No comments:

Post a Comment