Friday, June 1, 2018

भिक्खु-संघ, ईसाई मिशनरियों की तर्ज पर हों

बाबासाहब ने सुझाव दिया था कि हमारे भिक्खु-संघ को क्रश्चियन मिशनरियों की सेवा पद्यति अपनाना चाहिए। यह सत्य है कि एशिया में ईसाई धर्म का प्रचार शिक्षा और मेडिकल सहायता के आधार पर हुआ है। ईसाई नन हो या पादरी, वह केवल धार्मिक मामलों में ही कुशल नहीं होते हैं, वे कला और विज्ञान में भी कुशल होते हैं ।  यही कारण है कि सामान्य जनता की  वे विभिन्न प्रकार से सेवा करते हैं ।
धम्म-ग्रंथों से पता चलता है कि प्राचीन समय में यह पद्यति भिक्खु-संघ में पायी जाती थी।  भिक्खु यह जानते थे कि धम्म का प्रचार सेवा से शीघ्र होता है।  इसलिए, आज भिक्खु-संघ को अपने प्राचीन आदर्श का अनुकरण करना चाहिए।  ऐसे स्थिति में ही भगवान् बुद्ध की शिक्षाओं से लाभ उठाया जा सकता है( डा. बी. आर. अम्बेडकर का समाज दर्शन, पृ. 150 : डा. डी. आर. जाटव )। 

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