‘भन्ते नागसेन, पुच्छिस्सामि(पूछूंगा)।’’
‘‘पुच्छ(पूछो) महाराजा।’’ भदन्त नागसेनो आह।
‘‘पुच्छितोसि(पूछा) भन्ते।’’
‘‘विस्सज्जितं(उत्तर दिया) महाराजा।’’
‘‘किं पन(किन्तु क्या ), भन्ते, विस्सज्जितं(उत्तर दिया)?’’
‘‘किं पन, महाराज, पुच्छितं(पूच्छा)?’’
अथ(तब) खो मिलिन्दस्स रञ्ञो (मिलिन्द राजा को) एतदहोसि(ऐसा हुआ)-
‘‘पण्डितो खो अयं(यह) भिक्खु पटिबलो(समर्थ है),
मया(मेरे) सद्धिं(साथ) सल्लपितुं(चर्चा करने)।
स्रोत- मिलिन्द पञ्हो
‘‘पुच्छ(पूछो) महाराजा।’’ भदन्त नागसेनो आह।
‘‘पुच्छितोसि(पूछा) भन्ते।’’
‘‘विस्सज्जितं(उत्तर दिया) महाराजा।’’
‘‘किं पन(किन्तु क्या ), भन्ते, विस्सज्जितं(उत्तर दिया)?’’
‘‘किं पन, महाराज, पुच्छितं(पूच्छा)?’’
अथ(तब) खो मिलिन्दस्स रञ्ञो (मिलिन्द राजा को) एतदहोसि(ऐसा हुआ)-
‘‘पण्डितो खो अयं(यह) भिक्खु पटिबलो(समर्थ है),
मया(मेरे) सद्धिं(साथ) सल्लपितुं(चर्चा करने)।
स्रोत- मिलिन्द पञ्हो
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