Friday, June 1, 2018

दीपवंस

धम्म इतिहास को जानने का सबसे बड़ा स्रोत ति-पिटक में वंस साहित्य है। पालि वंस साहित्य के 17 ग्रन्थ हैं, यथा-  दीपवंस, महावंस, चूलवंस, बुद्ध घोसुप्पत्ति, सद्धम्म संगहो, महाबोधिवंस, धुपवंस, अत्तनगलु विहारवंस, दाठावंस, जिनकालमालिनी, छकेसधातु वंस, नलाट धातुवंस, संदेसकथा, गंधवंस, संगीति वंस, सासनवंस, ससनवंसदीप।

वंस साहित्य में राजाओं, भिक्खुओं एवं प्राचीन बौद्ध आचार्यों के वंस परम्परा का पर्याप्त रूप से वर्णन मिलता है। भारत सहित सिंहलद्वीप, बर्मा आदि देशो के सह-संबंधों के बारे में भी प्रमाणिक जानकारी वंस साहित्य में मिलती है। वंस साहित्य का लेखन भारत के बाहर, जैसे कि सब जानते हैं, सिंहलद्वीप के अनुराधापुर महाविहार में हुआ था।

इसके लेखक के नाम का पता नहीं है। शायद, यह किसी एक लेखक की रचना नहीं है। दीपवंस सिंहलद्वीप के ऐतिहासिक परम्परा का आधार और आदि स्रोत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में आरम्भिक अर्थात मुटसीव के शासन काल(307-247 ई. पू.) से लेकर राजा महासेन के शासन काल  (325-352 ई. पू.) तक का सिंहलद्वीप का इतिहास दर्ज है।
दीपवस 22 भाणवारों(परिच्छेदों)  में विभक्त है। बुद्ध घोस ने इस ग्रन्थ को अपनी अट्ठ-कथाओं में उद्धृत किया है। बुद्धघोस का समय 4-5 वीं सदी है।
दीप वंस की विषय वस्तु सिंहली अट्ठ-कथाओं पर आधारित है। महा-अट्ठ-कथा, महापच्चरी, कुरुन्दी, चुल-पच्चरी, अंधट्ठ-कथा आदि जिन सिंहली अट्ठ-कथाओं से बुद्धघोस ने सामग्री ली और जिन पर दीपवंस आधारित है, वर्तमान में अप्राप्त हैं।

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