एक बार महाप्रजापति गौतमी, जो भिक्खु-संघ में शामिल हो गई थी, ने सुना कि बुद्ध को सर्दी लग गई है। उन्होंने उनके लिए एक गुलूबंद तैयार किया और वह उसे बुद्ध के पास ले गई।
परन्तु बुद्ध ने उसे यह कह कर स्वीकार करने से इंकार कर दिया कि यदि यह एक उपहार है, तो उपहार समूचे संघ के लिए होना चाहिए, संघ के एक सदस्य के लिए नहीं। महाप्रजापति गौतमी, जिन्होंने बाल्य-काल में उनका पालन-पोषण किया था, ने बहुत अनुनय-विनय की परन्तु बुद्ध के आगे उनकी एक न चली (बुद्ध अथवा कार्ल मार्क्स: बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर सम्पूर्ण वांगमय खंड 7 ) ।
परन्तु बुद्ध ने उसे यह कह कर स्वीकार करने से इंकार कर दिया कि यदि यह एक उपहार है, तो उपहार समूचे संघ के लिए होना चाहिए, संघ के एक सदस्य के लिए नहीं। महाप्रजापति गौतमी, जिन्होंने बाल्य-काल में उनका पालन-पोषण किया था, ने बहुत अनुनय-विनय की परन्तु बुद्ध के आगे उनकी एक न चली (बुद्ध अथवा कार्ल मार्क्स: बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर सम्पूर्ण वांगमय खंड 7 ) ।
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