खबर है कि बिलासपुर के.डॉ. बिनायक सेन को लंदन के गांधी फाउंडेशन ने वर्ष 2011 के अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार के लिए चुना है। याद रहे, यह वही हस्ती है जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ समय पहले देश द्रोह के आरोप में जेल में ठूंस दिया था.भला हो देश के बुद्धिजीवियों का जो डा बिनायक सेन के साथ तन कर खड़े रहे और परिणामस्वरूप वे जमानत पर ही सही, जेल से रिहा होने में सफल रहे.
विदित हो, डा बिनायक सेन के साथ ही झारखंड के बुलु इमाम को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। पांच साल पहले यह अवार्ड शबाना आजमी को दिया गया था. वर्ष 1998 से शुरू हुए इस अवॉर्ड को अब तक 13 लोगों को सम्मानित किया जा चुका है।
छतीसगढ़ की रमन सरकार को अपने स्टेंड को रिविव्यु करना चाहिए.रमन सरकार अंत तक कहते रह गई कि डा बिनायक सेन नक्सलाईटों से मिले हुए हैं और कि वे देश द्रोही है.
उल्लेखनीय है कि डा बिनायक सेन जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ हैं और उन्होंने आदिवासियों के बीच जा कर स्वास्थ्य को समाज से जोड़ने का कार्य किया है .
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