Friday, August 5, 2011

और फिर कभी उसने थाली का झूठा खाना नहीं खाया

कहीं पर पढ़ा हुआ संस्मरण - 
         उस  समय बाबासाहेब औरंगाबाद  कालेज में पढ़ाते थे, उनके घर में शिवराम  नाम का एक लड़का घर के छोटे-मोटे काम किया करता था. शिवराम के पिता का नाम आनंद राव जाधव था.
         एक दिन बाबा साहब जब भोजन  करने के बाद उठे तो शिवराम उनकी थाली उठा कर ले जाने लगा. थाली में शिवराम को बाजरे की रोटी का टुकड़ा और बचा हुआ सरसों का थोडा-सा साग दिखा.मगर,उसे बाबासाहेब के द्वारा थाली में छोड़ा गया खाना कहीं फेंकना ठीक नहीं लगा.उसने उसमे से एक  निवाला मुँह में डाला ही था कि बाबासाहेब ने उसे देख लिया.
         दूसरे ही क्षण बाबासाहेब चिल्लाते हुए उस के पास गए और शिवराम के गाल पर एक जोर का थप्पड़ रसीद किया.
"मूर्ख,थाली का झूठा खाता है..." बाबासाहेब ने गर्जना की.
         बालक की आँखों से आंसू बह चले.कुछ समझ नहीं पाया कि क्या गलत हुआ.इतना  घबराया कि अगले दो दिन काम पर नहीं जा पाया. इधर बाबासाहेब परेशान हो गए.उन्होंने कॉलेज से किसी को आनंद राव  के घर शिवराम को बुलाने भेजा.
 बाबासाहेब का संदेश पाकर शिवराम और उनके पिता आनंदराव दोनों बाबासाहेब के सामने हाजिर हुए.बाबासाहेब ने उन्हें प्रेम से बैठाया और पूछने लगे -
"क्यों आनंदराव, तुम्हारा लड़का शिवराम काम पर क्यों नहीं आ रहा है ?" 
"बाबा....वो कह रह रहा है,आपने उसे थप्पड़ मारा...."
"अरे ! पर उससे पूछा कि मैने उसे क्यों मारा ...?"  बाबा साहेब ने आनंदराव से पूछा-
आनंदराव चुप.वह अपने लडके शिवराम जो सिर लटकाए नीचे देख रहा था, को देखने लगा.
".... मेरी थाली से झूठा खा रहा था .... अरे ...दूसरों की थाली का और कितने दिन झूठा खाओगे तुम लोग ? मैं क्यों इतनी जद्दोजेहेद कर रहा हूँ ... कष्ट उठा  रहा हूँ ....खाना-सोना सब हराम कर रखा है.... क्या इसलिए कि तुम लोग दूसरों का झूठा खाओ...उतरा हुआ पहनों. तुम लोगों को इंसान का दर्जा मिले,इसलिए तो मेरी सारी लड़ाई है...बाबा साहेब ने कहा.
उस थप्पड़ के बाद शिवराम ने फिर कभी किसी की थाली का झूठा खाना नहीं खाया.

1 comment:

  1. उस समय के शिवराम को बाबा साहब थप्पड मारी, उसने फिर कभी किसी की थाली का झूठा खाना नहीं खाया परंतु आज के शिवरामों में तो जूठन चाटने की होड सी लगी हुई है......

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