Tuesday, August 14, 2018

क्या राष्ट्र का संरक्षण, बिना कटे-मरे नहीं हो सकता ?

क्या राष्ट्र का संरक्षण, बिना कटे-मरे नहीं हो सकता ?
"तुम भूल गए हो की तुम एक क्षत्रिय कुमार हो।  लड़ना तुम्हारा धर्म है। शिकार के माध्यम से ही युद्ध-विद्या में निष्णात हुआ जा सकता है। क्योंकि शिकार करके ही तुम ठीक-ठीक निशाना लगाना सीख सकते हो। शिकार भूमि ही युद्ध भूमि का अभ्यास क्षेत्र है।" -शिकारियों के दल में जाने से इंकार करने पर महाप्रजापति ने डांटते हुए सिद्धार्थ को कहा।
"पर माँ ! एक क्षत्रिय को क्यों लड़ना चाहिए ?"
"क्योंकि यह उसका धर्म है। "
"किन्तु माँ ! यह तो बता कि आदमी का आदमी को मारना एक आदमी का ही 'धर्म' कैसे हो सकता है ?"  -बारह वर्ष के सिद्धार्थ ने तर्क दिया ।
"यह सब तर्क एक सन्यासी को योग्य है। लेकिन क्षत्रिय का तो 'धर्म' लड़ना है।  यदि क्षत्रिय भी नहीं लड़ेगा तो राष्ट्र का संरक्षण कौन करेगा ?"
"लेकिन माँ ! यदि सब क्षत्रिय एक दूसरे को प्रेम करें तो क्या बिना कटे-मरे राष्ट्र का संरक्षण कर ही नहीं सकते ?' गौतमी निरूत्तर हो जाती(स्रोत- बुद्ध और उनका धम्म: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर)।
प्रस्तुति - अ ला ऊके   @amritlalukey.blogspot.com

No comments:

Post a Comment