Wednesday, January 8, 2020

पालि एकक

पालि एकक
एकं किं?
भगवा सम्मासम्बुद्धो।
द्वे किं?
नामं च रूपं।
तीणि किं?
-ति-सरणं, ति-पिटकं।
चत्तारि किं?
-चत्तारि अरिय सच्चानि।
पञ्च किं?
-पञ्च-स्कन्धा(रूप, वेदना, सञ्ञा, संखार, विञ्ञाण), पंच सीलानि।
छह किं?-छह सळायतनं( पञ्च इन्द्रियां च मनो), छह विस्से पसिद्धा विस्सविज्झालया( तक्खसीला, नालन्दा, वल्लभी, विक्कमसीला, ओदन्तपुरी, जगद्दलादि)।
सत्त किं?
-सत्त बोज्झंगा-  सति(स्मृति), धम्म-विचय(सत्य जिज्ञासा/अन्वेषण), विरिय(उत्साह), पीति(लक्ष्य के प्रति प्रीति), पस्सद्धि(शांत-चित्तता), समाधि(एकाग्रता/चिंतन), उपेक्खा(लाभ-अलाभ के प्रति उपेक्षा-भाव)।
अट्ठं किं?
-अट्ठंगिक मग्गो।
नवं किं?
-नवांग तिपिटकं- सुत्त(गद्य), गेय्य(गद्य और पद्य), वेय्याकरण(व्याख्या), गाथा(पद्य), उदान(बुद्ध-मुख से भावातिरेक में निकले शब्द), इतिवुत्तक(बुद्ध-मुख से निकली उक्तियों का संग्रह), जातक(जातक कथाएं), अब्भुधम्म(अभिधम्म), वेदल्ल(प्रश्नोत्तर)।
दस किं?
- दसबलं.
-दस अख्याता(लोक निच्च /अनिच्च संबंधा- 4, जीव शरीर संबंधा- 2, भगवा महापरिनिब्बानस्स (क्या मरने के बाद तथागत होते हैं या नहीं) संबंधा- 4,
-दस पारमिता- दानं, सीलं, नेक्खमं(नैष्क्रम्य), पञ्ञा, विरिय, खन्ति, सच्चं, अधिट्ठानं, मेत्तं, उपेक्खा।
-दस अकुसला धम्मा- कायस्स 3- पाणातिपाता, अदिन्नदाना, कामाचार। वाचाय 4- मुसावादा, पिसुवचन(चुगली), फरुसवचन(कटुवचन), सम्फलाप(बकवास)। मनस्स 3- अभिज्झा(लोभ), व्यापाद(द्वेष-भावना), मिच्छादिट्ठि। @amritlalukey.blogspot.com

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