लीक-लीक सब कोई चले
कल एक प्रोफ़ेसर से बात हुई-
"हेलो, मैं मेश्राम बोल रहा हूँ."
" सर, जयभीम. क्षमा चाहता हूँ, सर, समयाभाव के कारण मैं चाह कर भी मिलने नहीं आ पाया."
"कोई बात नहीं. अच्छा !, यह बताईये, आप पालि पढ़ाते हैं ?"
"जी, जो कुछ बनता है, कोशिश करता हूँ "
"क्या पढ़ाते हैं ?"
"जी, व्याकरण लेकर पढ़ाता हूँ "
"व्याकरण तो अच्छी बात है. किन्तु यह ध्यान रखना कि पालि-गाथाओं का जो परंपरागत अर्थ है, उस पर टीका-टिपण्णी न हों."
"सर, शायद, आप कालेज में प्रोफ़ेसर हैं ?"
"जी."
"सर, क्या विषय पढ़ाते हैं ?"
"मेथ्स."
"धन्यवाद, सर ! "
कल एक प्रोफ़ेसर से बात हुई-
"हेलो, मैं मेश्राम बोल रहा हूँ."
" सर, जयभीम. क्षमा चाहता हूँ, सर, समयाभाव के कारण मैं चाह कर भी मिलने नहीं आ पाया."
"कोई बात नहीं. अच्छा !, यह बताईये, आप पालि पढ़ाते हैं ?"
"जी, जो कुछ बनता है, कोशिश करता हूँ "
"क्या पढ़ाते हैं ?"
"जी, व्याकरण लेकर पढ़ाता हूँ "
"व्याकरण तो अच्छी बात है. किन्तु यह ध्यान रखना कि पालि-गाथाओं का जो परंपरागत अर्थ है, उस पर टीका-टिपण्णी न हों."
"सर, शायद, आप कालेज में प्रोफ़ेसर हैं ?"
"जी."
"सर, क्या विषय पढ़ाते हैं ?"
"मेथ्स."
"धन्यवाद, सर ! "
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