असम के कवि हफ़ीज़ अहमद की कविता का हिंदी अनुवाद
लिखो
मैं मियां हूँ
NRC में मेरा नम्बर 200543 है
मेरे दो बच्चे हैं
और एक आने वाला है
अगली गर्मियों में
क्या तुम उससे इतनी ही नफरत करोगे
जितनी तुम मुझसे करते हो
NRC में मेरा नम्बर 200543 है
मेरे दो बच्चे हैं
और एक आने वाला है
अगली गर्मियों में
क्या तुम उससे इतनी ही नफरत करोगे
जितनी तुम मुझसे करते हो
लिखो
मैं मियां हूँ
मैंने बंजर , दलदली
ज़मीन को
धान के हरे-भरे लहलहाते खेतों में तब्दील किया
ताकि तुम्हारा पेट भर सके
मैं मियां हूँ
मैंने बंजर , दलदली
ज़मीन को
धान के हरे-भरे लहलहाते खेतों में तब्दील किया
ताकि तुम्हारा पेट भर सके
मैं ईंटें ढोता हूं
तुम्हारी इमारतें बनाने के लिए
तुम्हारी कार चलाता हूँ
तुम्हारे आराम के लिए;
मैं तुम्हारी गन्दी नालियां साफ़ करता हूँ
ताकि तुम रह सको तन्दरुस्त
मैंने हमेशा तुम्हारी सेवा की है
लेकिन फिर भी तुम रहे असंतुष्ट
तुम्हारी इमारतें बनाने के लिए
तुम्हारी कार चलाता हूँ
तुम्हारे आराम के लिए;
मैं तुम्हारी गन्दी नालियां साफ़ करता हूँ
ताकि तुम रह सको तन्दरुस्त
मैंने हमेशा तुम्हारी सेवा की है
लेकिन फिर भी तुम रहे असंतुष्ट
लिखो
कि मैं मियां हूँ
एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, गणतंत्र में
एक नागरिक
बिना किसी अधिकार के
कि मैं मियां हूँ
एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, गणतंत्र में
एक नागरिक
बिना किसी अधिकार के
मेरी माँ को डी वोटर (doubtful voter ) क़रार दिया गया
हालांकि उसके माँ-बाप तो हिंदुस्तानी ही हैं
हालांकि उसके माँ-बाप तो हिंदुस्तानी ही हैं
अगर तुम चाहो तो मुझे जान से मार सकते हो
मुझे मेरे गाँव से खदेड़ सकते हो
मुझसे मेरे हरे-भरे खेत छीन सकते हो
तुम्हारा रोलर
मेरे बदन को कुचल सकता है,
बिना किसी सज़ा के
तुम्हारी बंदूक की गोलियाँ मेरी छाती छलनी कर सकते हैं
मुझे मेरे गाँव से खदेड़ सकते हो
मुझसे मेरे हरे-भरे खेत छीन सकते हो
तुम्हारा रोलर
मेरे बदन को कुचल सकता है,
बिना किसी सज़ा के
तुम्हारी बंदूक की गोलियाँ मेरी छाती छलनी कर सकते हैं
लिखो
मैं मियां हूँ
ब्रह्मपुत्र के किनारे रहते हुए
सहते हुए तुम्हारे ज़ुल्म
मेरा बदन काला पड़ गया है
मेरी आँखे आग से लाल हैं
मैं मियां हूँ
ब्रह्मपुत्र के किनारे रहते हुए
सहते हुए तुम्हारे ज़ुल्म
मेरा बदन काला पड़ गया है
मेरी आँखे आग से लाल हैं
ख़बरदार
अब मेरे भीतर सिर्फ़ ग़ुस्सा ही भरा है
दूर रहो
या
फिर
भस्म हो जाओ
अब मेरे भीतर सिर्फ़ ग़ुस्सा ही भरा है
दूर रहो
या
फिर
भस्म हो जाओ
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