सड़े आदर्श
परिवार हो या समाज, हमारी माँ-बहनें, पुरुष के हवश की शिकार होती रही है, होती रहेगी.
जब तक 'सीता' घर से निष्कासित की जाती रहेगी, स्त्री, पुरुष के हवश की शिकार होती रहेगी.
जब तक 'द्रोपदी' 'पांडवों' की जांघों पर बैठती रहेगी, स्त्री, पुरुष के हवश की शिकार होती रहेगी.
जब तक 'अहिल्या' का 'शील' भंग होते रहेगा, स्त्री, पुरुष के हवश की शिकार होती रहेगी.
परिवार हो या समाज, हमारी माँ-बहनें, पुरुष के हवश की शिकार होती रही है, होती रहेगी.
जब तक 'सीता' घर से निष्कासित की जाती रहेगी, स्त्री, पुरुष के हवश की शिकार होती रहेगी.
जब तक 'द्रोपदी' 'पांडवों' की जांघों पर बैठती रहेगी, स्त्री, पुरुष के हवश की शिकार होती रहेगी.
जब तक 'अहिल्या' का 'शील' भंग होते रहेगा, स्त्री, पुरुष के हवश की शिकार होती रहेगी.
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