हम, बिके हुए समाज के लोग ?
दलित समाज के लोग बिक बड़ी जल्दी जाते हैं. कभी नौकरी के नाम पर तो कभी छोकरी/छोकरा के नाम पर. और इसलिए, दलित समाज के लोगों को उच्च शिक्षित होकर, अब व्यवसाय में आना चाहिए. नौकरी से आप भले ही शान-शौकत से रह पाएं, किन्तु समाज को ज्यादा कुछ नहीं दे पाते हैं.
दलित समाज के लोग बिक बड़ी जल्दी जाते हैं. कभी नौकरी के नाम पर तो कभी छोकरी/छोकरा के नाम पर. और इसलिए, दलित समाज के लोगों को उच्च शिक्षित होकर, अब व्यवसाय में आना चाहिए. नौकरी से आप भले ही शान-शौकत से रह पाएं, किन्तु समाज को ज्यादा कुछ नहीं दे पाते हैं.
सरकारी नौकरी जहाँ आदमी को लाचार और आलसी बनाती है, वहीँ प्राईवेट नौकरी आपका कचमूर निकाल देती है. आपको समय ही नहीं होता कि आप, समाज के लिए कुछ करे, सोचें. अतयव जो समर्थ हैं, उन्हें नौकरी देने वाला बनना चाहिए. चाहे दो को नौकरी दो या पचास को.
IAS/IPS बन कर बड़ी जल्दी हमारे बच्चे बिकने लग जाते हैं, कभी नौकरी के लिए तो कभी छोकरी/छोकरा के लिए !
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