समाचार दैनिक भास्कर जबलपुर (म.प्र) २८ नव. ०८ के अनुसार, मद्रास हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार से देश में जातिगत आधार पर जनगणना करने को कहा है। आरक्षित कोटे के तहत विचारार्थ याचिका को स्वीकार करते हुये कोर्ट ने यह निर्देश दिए .जस्टिस अलिये धर्माराव समेत दो जजों की बेंच ने कहा की जातिगत जनगणना आज के समय की मांग है और इससे केन्द्र सरकार को सामाजिक न्याय का लक्ष्य सही रूप में प्राप्त करने भी मदद मिलेगी।
स्मरण रहे की १९३१ के बाद से देश में जाती के आधार पर कोई जनगणना नहीं हुई है। निश्चित तोर पर आरक्षित वर्गों की जनसँख्या बढी है। अनु.जाती/जन-जातियों की हमेशा से मांग रही है की देश में जनसँख्या के आंकडे जातिगत आधार पर तैयार कराए जाए। मगर, यहाँ सुनता कौन है? अनु.जाती/जन-जातियों की औकात ये है की उनके १५० सांसद राष्ट्रपति से मिलने जाते हैं तो देश का राष्ट्रपति उनसे मिलने इंकार कर देता है। जहाँ तक राजनैतिक दलों की बात हैं,उनके करता-धर्ता सब गैर आरक्षित वर्ग के हैं। वे क्यों जातिगत जनगणना का समर्थन करने लगे ?
हिंदू बहुसंख्यक देश में जहाँ हिंदू दिमाग पर मुट्ठी-भर ब्राहमणों का कब्जा हो,यह सम्भव भी नहीं है.
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