Monday, December 19, 2011

पत्थर की पूजा

 पत्थर की पूजा

राह चलते गुरु गोविन्दशिंह दो शिष्यों को समझा रहे थे- 'पत्थर की पूजा मत करना।  मूर्ति के आगे सर नहीं झुकाना।  क्योंकि , यह इन्सान की सबसे बड़ी तौहीन है। इसी बीच एक बड़े पत्थर के पास गुरूजी रुक गए। उन्होंने हाथ जोड़ा और उस पत्थर के सामने झुक गए.       

शिष्य परेशान।  वे सोचने लगे कि अभी-अभी गुरूजी समझा रहे थे कि पत्थर के आगे सर नहीं झुकाना और खुद झुक रहे हैं ! शिष्य पीछे  मुड़कर जाने लगे।

गुरूजी ने पलट कर देखा और  आवाज दी- तुम कहाँ जा रहे हो ?
"आप ही कह रहे थे, पत्थर की पूजा मत करना. पत्थर की मूर्ति के आगे सर नहीं झुकाना और आप ही उस पत्थर के आगे सिर झुका रहे थे। "
 गुरूजी ने कहा- बादशाहों, मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था.

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