Sunday, December 4, 2011

ए मानव तू मुख से बोल-

1.
ए मानव तू मुख से बोल-
बुद्धं शरण गच्छामि 
धम्मं  शरण गच्छामि 
संगम शरण गच्छामि 

जब दुनिया से प्यार उठे, नफरत की दीवार उठे 
माँ की ममता पर,बेटे की तलवार उठे 
धरती की छाया पेड़, अम्बर डगमग उठे डोल

दूर किया जिसने जन-जन को,व्याकुल मन का अँधियारा 
रात जिसकी एक किरण को 
खूब चमक उठा ये जग सारा 
दीया सत्य का सदा जले,दया अहिंसा सदा पले 
सुख शांति का पेड़ फले 
भारत के हर घर-घर में, गूंज उठे यह मन्त्र अमोल

2.
सुखो बुद्धा नमो पादो, सुखा सधम्म देसना  
सुखा संघस्स सामग्गी, समग्गा नम तपो सुखो

नमो तस्स भगवतो अर्हतो, सम्मा सम्बुध्द्स्स 3 

बुध्दं सरणं गच्छामि
धम्म्मं सरणं गच्छामि
संघं  सरणं गच्छामि.

दुतियम्पि  बुध्दं सरणं गच्छामि
दुतियम्पि धम्म्मं सरणं गच्छामि
दुतियम्पि संघं सरणं गच्छामि.
 
ततियम्पि बुध्दं सरणं गच्छामि
ततियम्पि धम्म्मं सरणं गच्छामि
ततियम्पि संघं सरणं गच्छामि.

पञ्च शीलाची तत्व प्रणाली, विश्व जीवनुध्दार
अनुसरा बुध्दा चे सुविचार. अनुसरा.....

पाणातिपाता वेरमनी, सिक्खापदं समादियामी
जीवहिंसे पासून अलिप्त राहण्याची मी प्रतिज्ञा करतो
दया क्षमा शान्ति प्रेमा ने, मानव सेवा नित्य मी करितो
तजुनि अत्याचार. अनुसरा....

आदिन्न दाना वेरमनी, सिक्खापदं समादियामी
चोरी करण्या पासूनि अलिप्त, राहण्या ची मी प्रतिज्ञा करितो
दुर्बुध्दी दुर्गुण तजुनि, सद्गुण बुध्दि मी गा धरितो
दया मुळे उध्दार. अनुसरा.....

कामेसूमिच्छा चारा वेरमणी, सिक्खापदं समादियामी 
अनाचारा पासूनि अलिप्त, राहण्या ची मी प्रतिज्ञा करितो 
काम वासना आप तजुनि, खरा मार्ग पुण्या चा धरितो
सोडुनिया अविचार. अनुसरा......

मुसा वादा वेरमणी, सिक्खापदं समादियामी
खोटे बोलण्या पासूनि अलिप्त, राहण्या ची मी प्रतिज्ञा करितो 
सत्य धम्मा चे सत्य वचन मी, अंगिकारुनि  सत्य मी वदतो
हाच घडो अधिकार. अनुसरा......

सुरा मेरय मज्ज पमादठ्ठाना वेरमणी, सिक्खापदं समादियामी 
मद्द्य सेवना पासुनी अलिप्त, राहण्या ची मी प्रतिज्ञा करितो 
मादक मोहक जीवन नाशक, वस्तु चा धिक्कार मी करितो 
करुनिया सिरधार. अनुसरा बुध्दा चे सुविचार
3 .

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