Sunday, March 30, 2014

अनुत्तरित प्रश्न


 अनुत्तरित प्रश्न 


  ऐसा क्यों होता है कि लड़की को उसके पति और ससुराल द्वारा मार -पीट कर घर से निकाल दिए जाने के बाद भी उसे कहा जाता है कि वह पति से माफ़ी मांगे , उसी सास और ससुर के पास जा कर नाक रगड़े ?  क्या लड़की पर इस तरह का दबाव उसे आत्म-हत्या के लिए नहीं उकसाता ?

ससुराल से निकाल दिए जाने के बाद लड़की के लिए मायका ही आसरा होता है।  वह सीधे मायके आती है। घटना की जानकारी होने पर तमाम सुभचिन्तक और रिश्तेदार लड़की को समझाते हैं, उसे ढांढस देते हैं। मगर, इस समझाईश और ढांढस का साफ-साफ मतलब होता है कि लड़की का स्थान पति और ससुराल है। झगड़े तो होते रहते हैं। किसके यहाँ झगड़े नहीं होते ?

 जिंदगी एक झगड़ा है।  झगड़ा अर्थात संघर्ष। मगर, क्या लड़की ससुराल में झगड़ा करने जाती है ? निश्चित रूप से वह समझौता करती है। पति से , सास-ससुर से।  देवर से , देवरानी से।  गोया उस घर की प्रत्येक चीज से वह समझौता करती है।  जो चीज जहाँ है , वह उसे वहाँ रखने का प्रयास करती है। लड़की का एटीट्यूड कभी भी पंगा लेने का नहीं होता।  क्योंकि , एकदम से मिले नए घर और परिवेश में उसे खुद को स्थापित करना होता है।

दूसरी ओर , अगर देख जाए तो पति और सास-ससुर का एटीट्यूड मालिक का होता है।  घर में आए नए सदस्य को वे तौल कर देखते हैं। लड़की को बड़े ही धैर्य और मजबूती से उसे अपनी जगह बनानी होती है। कोई जरुरी नहीं कि पति की फ्रीक्वेंसी उससे मैच हो।  मगर, लड़की को ही अपनी फ्रीक्वेंसी को घटा -बढ़ा कर पति से ट्यून करना होता है।

यह कहना गलत होगा कि पति और सास-ससुर अहंकारी और तानाशाह होते हैं। कि उनके यहाँ लड़की नहीं होती।  मगर, यह सच है कि लड़की के आत्म-हत्या करने या उसे जला कर मार डालने में पति और सास -ससुर जिम्मेदार होते हैं।

झगड़ा की वजह जो भी हो , मरना लड़की को होता है।  पत्नी और सास- ससुर ने मिल कर पति को जला कर मार डाला , ऐसा कभी नहीं होता । जबकि इसके विपरीत पति और सास-ससुर ने मिल कर बहू को जला कर मार डाला, आये दिनों होता है।   

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