![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-RkOCQASu6IYl8gVacNSLJNRWuFcUdUY4q4coHHafoRHVhtpgSG9zr9LbsOAOt5RgU5OsW7dxK-s8Cvn2eW6ei_oemrjN9CWf2OxGztY3eBH_tq53nKXF03JTamoQ8HuVKgTSpu7p8Kc/s1600/03.jpg)
के साथ शिफ्ट हो जाना । फिर, चाहे उस लम्बे-चौड़े मकान में रहने के लिए मियां-बीबी के अलावा कोई न हो।
"डैडी , यह ट्रेडिशनल थिंकिंग है। अब यह आपको तय करना है कि आप इस दायरे में जीना चाहते हैं या फिर अपने आप को खुला छोड़ना चाहते हैं। खुला छोड़ने से फायदा यह होगा कि आप जब चाहे मम्मी के साथ यहाँ एम्सर्डम आ सकते हैं या फिर भोपाल में छोटू के पास रह सकते हैं। " - राहुल , मेरा बड़ा लड़का जो अब एम्सर्डम में रहता है, स्काईप पर मुझे समझा रहा था।
"मगर , तेरी मम्मी है तो ताना देती रहती है कि जब नौकरी में थे तब सरकारी क्वार्टर में रहे और अब रिटायरमेंट में बाद भी किराए के कमरे में रहना पड़ रहा है । "
"मगर, किराए के कमरे में तो रहना पड़ रहा है ?"
"हाँ, यह तो और अच्छा है । रिटायरमेंट के बाद लड़का और बहू के साथ रह रहे हैं। ऐसा बहुत कम लोगों को नसीब होता है। " - राहुल, एक लम्बे अरसे से यूरोप की खुली आबोहवा में रहते हुए भी ये बातें कह रहा था।
"सो तो है। "- मैं मन-ही मन मुस्करा रहा था।
No comments:
Post a Comment