मुद्दत हुई जिन्हें खोजते मोमबत्ती ले-ले कर
वे मिले भी तो, बिजली के खम्बे के साये में ।
सोचा था मिलेंगे तो पूछूंगा हाल -ए- दिल
सामना भी हुआ मगर, तो दरख़्त के साये में।
इंतजार करते रहे कि कुछ बात होगी
रोशनी हुई तो देखा, हम खड़े थे बूत के साये में ।
कि बोलने को तो बूत भी बोलते हैं
हमें क्या पता था, हम खड़े हैं अज़नबी साये में।
होंठ हिले तो उन्होंने पूछा , तुम्हे कहीं देखा है
हमने भी कहा, देखा होगा किसी मासूक के साये में।
वे मिले भी तो, बिजली के खम्बे के साये में ।
सोचा था मिलेंगे तो पूछूंगा हाल -ए- दिल
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इंतजार करते रहे कि कुछ बात होगी
रोशनी हुई तो देखा, हम खड़े थे बूत के साये में ।
कि बोलने को तो बूत भी बोलते हैं
हमें क्या पता था, हम खड़े हैं अज़नबी साये में।
होंठ हिले तो उन्होंने पूछा , तुम्हे कहीं देखा है
हमने भी कहा, देखा होगा किसी मासूक के साये में।
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