Monday, September 24, 2018

परस्पर विरोधी बुद्ध वचन

परस्पर विरोधी बुद्ध वचन
प्रतीत्य समुत्पाद का नियम कहीं तो कहता है कि अविद्या के होने से संस्कार होता हैं और कहीं कहता है कि संस्कारों के होने से अविद्या होती है(आनंद कौसल्यायन: दर्शन वेद से मार्क्स पृ 55 )। इन दोनों कथनों में जो विरोधाभास होता है, वह विशेष महत्त्व का नहीं। क्योंकि इससे सारभूत भाव तो निकल आता ही है।

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