Thursday, November 29, 2018

नाना धम्मा एकं अत्थं(मिलिंद पञ्हो)

पालि सुत्तों को संक्षेप में देने का हमारा उद्देश्य धम्म के साथ पालि से परिचय कराना है। 
उत्सुक पाठकों से अनुरोध है कि वे बस, इन्हे पढ़ते जाएं-

"कि नु  भंते ! नागसेन,
"क्या भंते ! नागसेन,
इमे धम्मा नाना संता
ये नाना प्रकार के धर्म
एकं अत्थं
एक ही लक्ष्य पर
अभिनिफ्फादेन्ति ?" राजा मिलिन्दो आह।
कार्य-निष्पादन करते हैं ?"

"आम महाराज !
"हाँ, महाराज !
इमे धम्मा नाना संता
ये धर्म नाना प्रकार के
एकं अत्थं
एक ही लक्ष्य पर
अभिनिफ्फादेन्ति ।"
कार्य-निष्पादन करते हैं ?" -भंते नागसेन ने समाधान किया ।


"भंते ! ओपम्म करोहि।"
"भंते ! कृपया उपमा दें ।"

"यथा महाराज ! सेना
"महाराज ! जैसे  सेना
नाना संता हत्थी च अस्सा च रथा च पत्तीच
हाथी घोड़े, रथ और पैदल सिपाही
एकं अत्थं अभिनिफ्फादेन्ति ।
एक ही लक्ष्य पर कार्य-निष्पादन करते हैं।
 संगामे परसेनं
संग्राम में पर-सेना पर
अभिविजिन्ति
विजय प्राप्त करते हैं

एवमेव खो महाराज !
उसी तरह, महाराज !
इमे धम्मा नाना संता
ये धर्म नाना प्रकार के
एकं अत्थं
एक ही लक्ष्य पर
अभिनिफ्फादेन्ति ।"
कार्य-निष्पादन करते हैं"

"कल्लोसी, भंते नागसेन !"
"भंते ! आपने ठीक कहा।  महाराजा मिलिंद ने संतुष्ट होकर कहा (स्रोत- सोळसमो: मिलिंद पञ्हो)।"
प्रस्तुति- अ ला ऊके  @amritlalukey.blogspot.com  

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