Wednesday, November 28, 2018

अभाव से भाव की उत्पत्ति नहीं(मिलिंद पञ्हो)

पालि सुत्तों को संक्षेप में देने का हमारा उद्देश्य धम्म के साथ पालि से परिचय कराना है। 
उत्सुक पाठकों से अनुरोध है कि वे बस, इन्हे पढ़ते जाएं-

भंते ! क्या अभाव से भाव की उत्पत्ति होती है ?
महाराज ! अभाव से भाव की उत्पत्ति नहीं होती
बल्कि, भाव से ही भाव की उत्पत्ति होती है।
कृपया उपमा दें ?

महाराज ! कुम्हार जमीन से मिटटी खोदकर
उससे अनेक प्रकार के बर्तनों को गढ़ता है।
ये बर्तन न होकर, हो जाते हैं
क्योंकि उनकी स्थिति का प्रवाह मिटटी से चला आता है।

कृपया और उपमा दें ?
महाराज ! यदि खोखला काठ, दंड, तार और
कोई बजाने वाला न हो तो वीणा बजेगी ?
नहीं भंते !
और यदि ये सभी चीजें हो तो तब ?
भंते ! तब वीणा बजेगी ।
महाराज ! इसी तरह वही चीजें पैदा होती हैं,
जिनकी स्थिति का प्रवाह पहले से चला आता है।

कृपया और उपमा दें ?
महाराज ! यदि जलाने वाला काच न हो,
सूरज की गर्मी न हो और सूखा कंडा भी न हो
तो क्या आग जलेगी ?
नहीं भंते !
और यदि सभी चीजें हो तब ?
भंते ! तब आग जलेगी।
महाराज ! इसी तरह वही चीजें पैदा होती हैं,
जिनकी स्थिति का प्रवाह पहले से चला आता है।
भंते ! आपने बिलकुल साफ कर दिया।
स्रोत- मिलिंद पञ्हो

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