"क्या कल आपकी दुकान खुली रहेगी ?" मनिहारी की दूकान में सामान दे रही एक महिला से मैंने पूछा।
"नहीं सर, कल दुकान बंद रहेगी। प्रश्नवाचक दृष्टी से मेरे देखे जाने पर वह बताने लगी कि कल उनके लिए शोक का दिन है. झट तभी मुझे हजरत इमाम हुसैन के बलिदान दिवस का ध्यान आया। मैंने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा कि मुझे मालूम था पर, बात दिमाग से निकल गई थी। साथ ही मैंने जोड़ दिया कि कल का दिन हमारे लिए भी शोक का दिन है. तब वह आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगी। मैंने उनकी ओर देख कर कहा कि कल, 6 दिस. को बाबासाहेब अम्बेडकर की मृत्यु हुई थी। इस पर वह पूछने लगी की ये बाबासाहेब अम्बेडकर कौन है ?
"नहीं सर, कल दुकान बंद रहेगी। प्रश्नवाचक दृष्टी से मेरे देखे जाने पर वह बताने लगी कि कल उनके लिए शोक का दिन है. झट तभी मुझे हजरत इमाम हुसैन के बलिदान दिवस का ध्यान आया। मैंने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा कि मुझे मालूम था पर, बात दिमाग से निकल गई थी। साथ ही मैंने जोड़ दिया कि कल का दिन हमारे लिए भी शोक का दिन है. तब वह आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगी। मैंने उनकी ओर देख कर कहा कि कल, 6 दिस. को बाबासाहेब अम्बेडकर की मृत्यु हुई थी। इस पर वह पूछने लगी की ये बाबासाहेब अम्बेडकर कौन है ?
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