रामराज्य का फरमान
संदेह करने वालों को उम्र कैद
तर्क करने वाले को फांसी
अल्पमत पर बहुमत का धर्म राज
नास्तिकों को सूली
इन सबको
दैहिक-दैविक-भौतिक ताप से
पूर्ण मुक्ति।
('अन्यथा' अंक जन.1993)
* * * *
सुनो सवर्ण
मानता हूँ तुम सवर्ण हो
लेकिन मेरा तो कोई
वर्ण नहीं है
क्योंकि, तुम्हारे ही शब्दों में
मैं अवर्ण हूँ
आश्चर्य होता है फिर भी मुझे
मन्दिरों पर नहीं चढ़ सकता था
कि तुम्हारी वर्ण-व्यवस्था का
चौथा हिस्सा मैं
कब और कैसे हो गया
मन्दिरों पर नहीं चढ़ सकता था
कि तुम्हारी वर्ण-व्यवस्था का
चौथा हिस्सा मैं
कब और कैसे हो गया
जबकि वेद नहीं
सुन सकता था
धर्म-ग्रन्थ नहीं पढ़ सकता था
महेंद्र बैनीवाल: नई दिल्ली
* * * *
सुन सकता था
धर्म-ग्रन्थ नहीं पढ़ सकता था
महेंद्र बैनीवाल: नई दिल्ली
* * * *
wah!!!!!!!!!!!kya bat hai
ReplyDelete