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हट्टा की बावड़ी काफी
प्राचीन धरोहर है.यह वास्तव में, सैनिकों की बैरक है.बावड़ी का निर्माण सामरिक दृष्टि से सैनिकों को छिपने,विश्राम करने के लिए किया गया था. वर्तमान में यह स्मारक पुरातत्व- विभाग की देख-रेख में है.
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लेख है कि पहले यहाँ हैहय वंशीय राजाओं का साम्राज्य था.बाद में गोंड राजाओं ने अपना राज्य स्थापित किया.फिर,यह हिस्सा गोंड राजाओं से होकर मराठा शासक भोसले के साम्राज्य में शामिल कर लिया गया था.
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बावड़ी में सैनिकों के नीचे उतरने के लिए सीढियाँ हैं.सीढियों से आप प्रथम तल से द्वितीय तल तक ही जा सकते हैं.द्वितीय तल के नीचे पानी भरा है. पानी भरा होने से पता नहीं चलता की क्या और भी नीचे जाया जा सकता है ? एक और छोटी-सी गुप्त सीढ़ी है जिससे एक व्यक्ति ही जा सकता है.बावड़ी के पास सैनिकों को पानी पीने के लिए एक कुआ भी है पुरातत्वीय विभाग द्वारा लगायी गई पट्टिका के अनुसार बावड़ी का निर्माण 17 वी.-18 वी.शती के दौरान चट्टानों को काट कर किया गया था.बावड़ी के स्तम्भों में हैहय वंशीय,गोंड वंशीय और मराठा शिल्प-कला के दर्शन होते हैं.
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हट्टा एक कस्बा है, जो म.प्र. के
बालाघाट जिले में, बालाघाट से करीब 15 की. मी. की दूरी पर स्थित है.जब आप बालाघाट से गोंदिया वाया रजेगावं बस मार्ग से जाते हैं तो आपको हट्टा के लिए रजेगावं के पहले, मुड़ना पड़ेगा.आप गोंदिया या बालाघाट से कार/बाइक द्वारा भी जा सकते हैं.
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