प्राप्त समाचारों के अनुसार,रूस की एक अदालत में हिन्दुओं के धार्मिक पवित्र-ग्रन्थ गीता पर प्रतिबन्ध लगाने की किसी ने याचिका दायर की है.विदित हो की गीता पर समय-समय में कई देश-विदेश के विद्वानों ने अपने-अपने तरीके से टीका करी है.रूस में भी किसी ने गीता की टीका लिखी है जिस पर यह बवाल मचा है.
गीता इस देश के बहुसंख्यक हिन्दू पढ़ते हैं.स्मरण रहे, गीता में चातुर्य-वर्ण की वकालत की गई है.उच्च जाति के हिन्दू बुध्दिजीवी इस चातुर्य-वर्ण की प्रसंशा करते हैं.वे प्रसंशा इसलिए करते हैं कि वह उनके वर्ण और जातीय हितों का संरक्षण करता है.दूसरी ओर, दबी-पिछड़ी जातियां इसका विरोध करती है. विरोध इसलिए करती है कि यह उन्हें वर्ण और जाति के परे कार्यों को करने से रोकता है.यह उन्हें ऊपर उठने के अवसर प्रदान नहीं करता.उच्च वर्ण और जाति के व्यवसाय को करने अधर्म बतलाता है.आइये देखे कि गीता में इस चातुर्य वर्ण-व्यवस्था के बारे में क्या कहा गया है-
चातुर्वर्णय मया सृष्टं गुणकर्मविभागश:
तस्य कर्तारमपि मां विध्दसकर्तारमव्ययम.
श्रेया: स्वधर्मो विगुण परधर्मत्स्वनुष्ठितात
स्वधर्मे निधनं श्रेय: परधर्मो भयावह: .
मुझे एक प्रसंग स्मरण हो आता है - एक बार गांधीजी को एक शिक्षित भंगी का लड़का अनुरोध करता है कि वह अच्छी नौकरी करना चाहता है. इस पर गांधीजी उसे मना कर देते हैं और सलाह देते हैं कि वह अपनी बुध्दि और कौशल का इस्तेमाल अपने जाति-पेशे में ही बेहतर तरीके से करे.यह समाज के लिए ज्यादा अच्छा होगा.
यह उदाहरण गीता के उक्त चातुर्य वर्ण-व्यवस्था को ठीक-ठीक समझाता है.डा. आंबेडकर ने गीता की खुले शब्दों में भर्त्सना की थी.उनका कहना था कि हिन्दुओं के उंच-नीच की जाति-पांति के पीछे उनके यही धार्मिक ग्रन्थ हैं.ये धार्मिक ग्रन्थ उन्हें उंच-नीच की जाति-पांति मानने के लिए निरंतर उपदेश देते रहते हैं.
खैर, मामला अदालत में है. देखे,अदालत क्या फैसला देती है. वैसे, यहाँ की हिन्दू धार्मिक-सस्थाएं भारत सरकार पर दबाव बनाये हुए हैं कि वह इस मामले में अपनी कूटनीति का इस्तेमाल रूस की सरकार पर करे.जो भी हो, इस देश का दलित समाज किसी पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगाने के खिलाफ है.यह लोगों के विचारों के प्रगटीकरण पर प्रतिबन्ध है.
मगर, तब भी यह प्रश्न अनुत्तरित रहेगा कि विश्व की सबसे ऊँची बुद्ध की मूर्ति को जब तालिबानियों ने बम्ब-ब्लास्ट से उड़ा दिया था तब, भारत सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की गई थी ? अन्तराष्ट्रीय जगत में भारत को बुध्द की जन्म-भूमि के तौर पर नत-मस्तक किया जाता है. भारत को विश्व के दूसरे देशों को अगर कुछ दिखाना होता है तब वह बुध्द को सामने करती है.
!!!!!!!! what you want to show?
ReplyDelete