30.04.11
शो रूम में सजी जूतियाँ देख कर
वे बोले
पैरों की जूती, पैरों में रहनी चाहिए
* * * *
07.12.11
गुम हो जाएँगे हम,
तुम देखते रह जाओगे
अगर मिलना भी चाहो,
तो मिल न पाओगे
हालाकि, हम चाहते हैं
जनाजा यहीं से निकले
दुआ हो या बद-दुआ
तुम से निकले
* * * *
ऐसा क्यों होता है कि
जहाँ बस्ती ख़त्म होती है
ऊग आती है, वहां दलदल
घास-फूस और थर्ड क्लास पोलीथिन से
अपनी इज्जत ढांकती झोपड़ियाँ ?
आखिर क्यों वही आवारा कुत्ते
छिनाल कुत्तियों को सूंघते हैं ?
क्यों कच्ची दारू की बोतलों से
झोपड़े बजबजाते हैं ?
और मन्दिर की घंटियाँ
सबसे ज्यादा यही टन-टनाटी है ?
* * * *
जूतियाँ
शो रूम में सजी जूतियाँ देख कर
वे बोले
पैरों की जूती, पैरों में रहनी चाहिए
* * * *
07.12.11
ख्वाहिश
गुम हो जाएँगे हम,
तुम देखते रह जाओगे
अगर मिलना भी चाहो,
तो मिल न पाओगे
हालाकि, हम चाहते हैं
जनाजा यहीं से निकले
दुआ हो या बद-दुआ
तुम से निकले
* * * *
झोपड़-पट्टी
ऐसा क्यों होता है कि
जहाँ बस्ती ख़त्म होती है
ऊग आती है, वहां दलदल
घास-फूस और थर्ड क्लास पोलीथिन से
अपनी इज्जत ढांकती झोपड़ियाँ ?
आखिर क्यों वही आवारा कुत्ते
छिनाल कुत्तियों को सूंघते हैं ?
क्यों कच्ची दारू की बोतलों से
झोपड़े बजबजाते हैं ?
और मन्दिर की घंटियाँ
सबसे ज्यादा यही टन-टनाटी है ?
* * * *
sundar wa bhavpoorna prastuti
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