संत शिरोमणि नामदेव का जन्म 26 अक्टू. 1270 में महाराष्ट्र के नरसी-बमनी जिले में हुआ था.नामदेव के माता का नाम गोजा बाई और पिता का नाम दामाशेट था.नामदेव का विवाह 7 वर्ष की आयु में कर दिया गया था.उनकी चार संतान हुई थी.किन्तु नामदेव का मन गृहस्थी में कभी नहीं लगा.
नामदेव और ज्ञानदेव समकालीन थे और उन्होंने एक साथ भारत में कई जगहों की यात्रा की थी.नामदेव की यात्रा- मंडळी में निवृति नाथ,मुक्ता बाई,चोखा,परिसा भगत , सोपान देव प्राय: एक साथ रहते थे.
नामदेव पंजाब में काफी समय रहे थे.अमृतसर के भूतविंद नगर में उनके प्रथम पंजाबी शिष्य बोहरदास द्वारा निर्मित नामदेव मदिर उनके पंजाब यात्रा का गवाह है.गुरदासपुर के घूमान में भी नामदेव का बड़ा-सा मन्दिर है. नामदेव के कुछ अभंग गुरु-ग्रन्थ साहिब में आये हैं.
नामदेव ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा पंढरपुर में बिताया था. उन्होंने 80 वर्ष की उम्र में 3 जुला. सन 1350 में समाधी ली थी.नामदेव ने हमेशा जाति और सम्प्रदाय के विरुध्द प्रचार किया.
नामदेव और ज्ञानदेव समकालीन थे और उन्होंने एक साथ भारत में कई जगहों की यात्रा की थी.नामदेव की यात्रा- मंडळी में निवृति नाथ,मुक्ता बाई,चोखा,परिसा भगत , सोपान देव प्राय: एक साथ रहते थे.
नामदेव पंजाब में काफी समय रहे थे.अमृतसर के भूतविंद नगर में उनके प्रथम पंजाबी शिष्य बोहरदास द्वारा निर्मित नामदेव मदिर उनके पंजाब यात्रा का गवाह है.गुरदासपुर के घूमान में भी नामदेव का बड़ा-सा मन्दिर है. नामदेव के कुछ अभंग गुरु-ग्रन्थ साहिब में आये हैं.
नामदेव ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा पंढरपुर में बिताया था. उन्होंने 80 वर्ष की उम्र में 3 जुला. सन 1350 में समाधी ली थी.नामदेव ने हमेशा जाति और सम्प्रदाय के विरुध्द प्रचार किया.
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