Thursday, December 13, 2012

पंछी बनू उडती फिरूं


आज की डेट में शादी से जरुरी रजिस्ट्रेशन है। सही भी है, रजिस्ट्रेशन से पता चलता है कि अमुक अमुक की शादी हुई है। शादी में पेरेंट्स या रिश्तेदारों का होना उतना लाजिमी नहीं होता। लड़का-लड़की राजी तो बस हो गई शादी। अब, कल को लड़का कहने लगे कि मैं तो इस लडकी को पहचानता ही नहीं हूँ , तब ? इस झंझट से निपटने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। सरकार रजिस्ट्रेशन देख कर कोर्ट को बतला सकती है कि आपने शादी की है ।

हमें बतलाया गया कि शादी का रजिस्ट्रेशन जरुरी है और इसके लिए तारीख 12.12.12 रखी गई है। यह एक ऐतिहासिक डिजिटल क्रेज था। इस प्रोग्रामिंग की वजह से ही हम लोग 3-4 दिन एडवांस मुंबई आये थे।  नियत समय पर हम लोग बांद्रा  रजिस्ट्रेशन आफिस पहुंचे। बिपिन बतला रहे थे कि  यहीं पास में दिवंगत नेता बाल  ठाकरे का निवास मातोश्री है।
   ताई और बिपिन के साथ हम लोगों का दिल बल्लियों उछल रहा था।
रजिस्ट्रेशन आफिस में लम्बी कतार लगी थी। यह उसी डिजिटल क्रेज का कमाल था। वहां आया हर जोड़ा चाहता था कि उनकी शादी का रजिस्ट्रेशन  इस दिन हो। कोर्ट रूम से एक-एक कर फूलों के हार पहने लड़का-लड़की और उनके पेरेंट्स/शुभचिन्तक मुस्कराते हुए निकल रहे थे और हम लोग बाहर खड़े उन्हें बड़ी हसरत से देख रहे थे। पेरेंट्स/शुभ चिंतक एक-दूसरे के गले मिल रहे थे और रजिस्ट्रेशन करने वाले जोड़े को बधाइयां दे रहे थे। उधर, नीचे कोर्ट रूम के बाहर लान में फोटों खींचे जा रहे थे।
करीब 12 बजे सचमुच अन्दर से बुलावा आया। कन्सलटेंट, जो एक महिला अधिकारी थी, ने पहले ही एक-एक कर सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थी। कोर्ट रूम में भी महिला अधिकारी ही बैठी थी। एक रजिस्टर में जहाँ पहले से ही ताई और बिपिन दोनों की फोटो और डिटेल्स दर्ज थी, में  महिला अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर कराये गए। इसके बाद टाईप्ड फार्मेट में जो शपथ-पत्र था, को बारी-बारी से ऊँची आवाज में पढवाया गया ताकि सनद रहे। शपथ-पत्र में मजमून कुछ इस तरह था-
' मैं .... अपने पूरे होशों-हवास के साथ ...... को अपना पति/पत्नी स्वीकारती /स्वीकारता हूँ।" इसी के साथ उपस्थित शुभ चिन्तक/पेरेंट्स क्लेपिंग कर उनके कथन पर अपनी सम्मति प्रगट करते हैं।
     ताई और बिपिन ने भी इसी तरह शपथ लिया और हम सब ने बड़ी जोर से क्लेपिंग कर अपनी सम्मति प्रगट की। महिला जज ने फोटो लेने की इजाजत दी। मैंने फटाफट दो-तीन स्नेप लिए। जल्दी ही हमें बाहर निकलना  पड़ा क्योंकि, और भी जोड़े इन्तजार कर रहे थे।
     कोर्ट रूम के बाहर निकल कर ताई और बिपिन बड़े खुश नजर आ रहे थे। ताई और बिपिन दोनों को हमने आशीर्वाद दिया और उनके मंगल-मय भविष्य की कामना की। ताई अपने हेंड बैग से टाफी निकाल-निकाल कर हम लोगों को खिलाये जा रही थी और हम लोग उसके बैग को आश्चर्य से देख रहे थे।
     ताई लाल रंग का अनारकली सलवार-कुर्ता पहने थी। सलवार-कुर्ते के ऊपर बेल-बूटेदार चमकते सितारों वाली लाल चुनरी खूब जम रही थी। ड्रेस पर किया गया सुनहरा वर्क वाकई उसे जीवन की उंचाइयां दे रहा था। और वह ड्रेस को दोनों हाथों से फैला कर झूम रही थी -  "पंछी बनू उडती फिरूं मस्त गगन में, आज ....." 

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