यूरोप और अमेरिका की तुलना में हमारे
यहाँ नेताओं के एक से अधिक बच्चें हैं . इन में से अधिकतर जिम्मेदारी
सोपें जाने पर अपनी काबिलियत दर्ज करा सकते हैं. उदाहरण के लिए राहुल
ब्रिगेड को हम देख ही रहे हैं.
अन्य पार्टियों में भी कई युवा नेता हैं जो अधिकतर नेता-पुत्र हैं .
यूवा खून में कुछ कर जाने की तीव्र ललक
होती है. वहीं, अस्सी और नब्बे साल में उम्र का अपना तकाजा होता है. आप
किसी कार्य को करने के पहले हजार बार सोचते है और जब करते हैं तब तक, कई
बार ट्रेन निकल चुकी होती है. यहाँ, हजार बार सोचने पर आपत्ति नहीं है
बल्कि, आपत्ति कार्य के इस चक्कर में डिले होने में है.
यूँ युवा खून के अति उत्साह के अपने नुकसान भी हैं. मगर, इसके लिए बुजुर्ग नेतृत्व का आशीर्वाद भी तो हमारे सिर पर है. मुझे लगता है कि अब हमारे देश के भीष्म-पितामहों को दूसरों के लिए नहीं तो कम से कम अपने ही लायक बच्चों के लिए कुर्सी खाली कर देनी चाहिए जिनमें वे राजनीती की झलक देखते हैं. निश्चित रूप से इस कृत्य से उनके स्वय के साथ-साथ देश का भी भला होगा.
अन्य पार्टियों में भी कई युवा नेता हैं जो अधिकतर नेता-पुत्र हैं .
photo source:i.com |
यूँ युवा खून के अति उत्साह के अपने नुकसान भी हैं. मगर, इसके लिए बुजुर्ग नेतृत्व का आशीर्वाद भी तो हमारे सिर पर है. मुझे लगता है कि अब हमारे देश के भीष्म-पितामहों को दूसरों के लिए नहीं तो कम से कम अपने ही लायक बच्चों के लिए कुर्सी खाली कर देनी चाहिए जिनमें वे राजनीती की झलक देखते हैं. निश्चित रूप से इस कृत्य से उनके स्वय के साथ-साथ देश का भी भला होगा.
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