निश्चित तौर पर बुद्धगया के महाबोधी विहार के सीरियल बम ब्लास्ट के पीछे म्यांमार में पिछले कई दिनों से चल रहा बुद्धिस्ट-मुस्लिम फसाद ही है . मगर, अगर इस तर्क को स्वीकार किया जाता है तो फिर, दीगर जीतनी भी आतंकवादी वारदाते हैं, साफ हो जाती है. यही कि जहाँ कही अल्पसंख्यक भय में आते हैं, उनके पास इसके आलावा कोई दूसरा चारा नहीं होता ?
Source- e-Hindustan Times 8 Jul 13 |
Source-e-Hindustan Times 8 Jul 13 |
मगर, यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रकृति पर भी मनुष्य ने ही विजय पाया है. उसने एक व्यवस्था कायम की है. और ये व्यवस्था कहती है कि कमजोर को भी सम्मान के साथ जीने का उतना ही अधिकार है जितना की किसी बलशाली को. इसके लिए उसने कुछ रिसेर्वेशन बनाए. यह कि बलशालियों के जायज/नाजायज तरीकों पर कुछ अंकुश लगाये . अब इस व्यवस्था में अधिसंख्यक अपनी ताकत के बल पर अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों को कुचल नहीं सकते . उन्हें इसकी ग्यारंटी के लिए जवाबदेह होना होता है .
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