Sunday, August 25, 2013

अन्धविश्वास विरोधी अध्यादेश

 प्राप्त खबर के अनुसार, महाराष्ट्र के राज्यपाल ने अन्धविश्वास विरोधी अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.   अब यह देखने की बात है कि विधायिका में यह बिल कैसे पारित होता है ?  क्योंकि शिवसेना और बीजेपी इसका समर्थन करने से रही.  शिव सेना और बीजेपी का तर्क है कि इस तरह के बिल से तो हिन्दू धर्म और उसकी संस्कृति ही खतरे में पड़ जाएगी. 



Source:Loksatta (25 Aug 2013)
स्मरण रहे, अभी कुछ ही दिनों पहले, 20 अगस्त को पूना के सामाजिक कार्यकर्ता डा नरेन्द्र दाभोलकर की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. डा नरेन्द्र दाभोलकर पिछले कई वर्षों से विषमता और अन्धविश्वास, जादू-टोना जैसे सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध तगड़ा आन्दोलन चला रहे थे. डा दाभोलकर और उनके साथियों ने इस तरह का कानून बनाने के लिए काफी प्रयास किया था.  उनकी जघन्य हत्या के बाद से ही इस बिल को लाने की बात कही जा रही थी. वैसे तो देश का संविधान  ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और सुधार की भावना के विकास की बात करता है मगर,  यहाँ संविधान को पूछता कौन है ?
 देश में बहुसंख्यक हिन्दू हैं. स्वाभाविक रूप से संविधान की भावना के अनुरूप वैज्ञानिक सोच पैदा करने की जिम्मेदारी हिन्दुओं की है. मगर, हिन्दुओं के ठेकेदार तो फिलहाल 84 पञ्च कोस परिक्रमा में फंसे हैं. 

No comments:

Post a Comment