Friday, October 11, 2013

मायावती, दूसरे नेताओं को उभरने नहीं देती

राहुल गाँधी ने बिलकुल सही जगह चोट की है। मायावतीजी ने बीएसपी में दूसरी पंक्ति के नेताओं को कहाँ उभरने दिया ?  एक सिर्फ मिश्र जी हैं , जो हमेशा बहनजी के बगल में खड़े रहते हैं।  एक दूसरे मौर्यजी हैं जो जब कभी टीवी पर दीखते हैं , डाकू लगते हैं ।  उनका चेहरा ही इतना डरावना है कि तीसरी और चौथी पंक्ति के नेता  उनसे जयभीम कहने को डरते हैं।
बीएसपी के लिए म प्र शुरू से ही उर्वर रहा है। पिछले समय, फूलसिंग बरैया उछल उछल कर ख़म ठोक रहे थे।  लगता था जैसे  म प्र में नीला झंडा फहरने ही वाला है।  मगर, फिर एकाएक पता नहीं क्या हुआ कि वह कभी बीजेपी में तो कभी कांग्रेस में अपने लिए दो गज जमीन खोजे फिर रहा था। तो क्या यह हश्र  होना चाहिए उन क्षत्रपों का खुद  की पहचान बनाने की कूबत रखते हैं ?    
हो सकता है, मायावतीजी को रिपब्लिकन पार्टी के हश्र का डर सताता हो ? मगर , इस कीमत पर बीएसपी में  और नेतृत्व का न उभारना सही नहीं कहा जा सकता।  आखिर , मायावतीजी को कांसीराम जी ने ही तो सामने लाया था  ? यह भी हो सकता है, दूसरी पंक्ति के नेताओं को डर हो कि उनके किसी निर्णय पर पता नहीं बहनजी क्या सोचे ? जो भी हो, उ प्र में न सही , दूसरे स्टेट्स में क्षत्रपों को अपने दम पर काम करने की छूट  होनी चाहिए।
पीछले कई वर्षों से , उ प्र के राजाराम जी म प्र में आ कर पार्टी चला रहे हैं ! ताज्जुब है, क्या म प्र में इतनी हद तक नेतृत्व का खालीपन है। जबकि प्रदेश में पार्टी का बहुत बड़ा केडर बेस है। तो फिर अविश्वास है कहाँ और किस लेवल पर ?

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