Friday, February 7, 2014

पहचान

पहचान


चावल की इल्लियाँ
ठीक चावल की तरह हो जाती है
गोभी के रंग में
छुप जाते हैं कीड़े
वैसा ही रूप अख्तियार
कर लेते है वे
आम के भी भीतर

कोशिकाओं में वायरस
और खून में
पानी के कारक बन
बैठ जाते हैं।
हर स्वस्थ और सुखी
चीज में
बड़ी सफाई से घुस जाते हैं।

यहाँ तक कि
विचारों में भी
ठीक विचारों की तरह
लगते हैं वे

व्यवस्था में
व्यवस्था की तरह
होने की कोशिश करते हैं
अर्थव्यवस्था में
अर्थव्यवस्था की तरह

उन्हें जरुरी है
पहचानना
                        - धर्मेन्द्र पारे
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