Sunday, February 9, 2014

संकल्प हो हमारा


           (1)

संकल्प हो हमारा, इन्सान हम बनेंगे
इन्सान बन गए तो,भगवान् भी बनेंगे

 हो जैन बौद्ध हिन्दू,मुस्लिम हो ईसाई 
आपस में भाई-भाई,सब मेल मिल रहेंगे 

हम एक ही गगन के,चमके हुए सितारे 
लगते हैं कितने प्यारे, हंसते रहे रहेंगे 

हम एक ही चमन के फुल हैं न्यारे-न्यारे 
लगते हैं कितने सुंदर,खिलते रहे खिलेंगे 

मंदिर तो एक हैं,दीपक हैं न्यारे-न्यारे 
लगते हैं कितने प्यारे,जलते रहे जलेंगे 

गीता-पुराण आगम,गुरु-ग्रन्थ हो पुरानन 
इन्सान सबकी गाथा,हम प्रेम से पढेंगे

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