Monday, January 29, 2018

उदयगिरी की बौद्ध गुफाएं(Udaygiri Caves)

उदयगिरी की बौद्ध गुफाएं
भोपाल से उदयगिरी मात्रा 60 की. मी. दूर है। आप अगर सांची का विश्व प्रसिद्ध बौद्ध-स्तूप देखने जाएं तो इन गुफाओं को भी देखने जरूर जाएं। भोपाल और इसके आस-पास के लोगों को अकसर यहां विक-एॅण्ड पर पिकनिक मनाते देखा जा सकता है।


इसकी वजह यह है कि इन पहाड़ियों के नीचे सटे हुए जंगल में नदी किनारे एक बहुत ही खुबसूरत जंगल-रिसार्ट है। दूसरे,  रिसार्ट से लगे हुए घने जंगल में टूरिज्म विभाग ने इस तरह के प्राकृतिक स्पॉट विकसित किए हैं कि आप परिवार अथवा मित्र-मंडली के साथ मजे से पिकपिक का आनन्द ले सकते हैं।
भारत में, बौद्ध-अवशेषों को गुफा और शिला-लेखों से ही रूबरूं किया जा सकता है। गुफाएं बौद्ध धर्म की देन है. हिन्दू धर्म में गुफा का अर्थ अधिक से अधिक कंदराओं में शंकरजी की पिंडी है जबकि बौद्ध धर्म में गुफा के मायने भिक्खुओं का आवास है।

किसी समय ये गुफाएं अपने चरमोत्कर्ष पर रही होंगी। बौद्ध भिक्खु विभिन्न संस्कृतियों के प्रवाह के साथ न सिर्फ इसमें रहते होंगे वरन् भगवान बुद्ध के धम्म दर्शन पर चिंतन करते हुए उनकी करुणा और शांति के संदेश से समस्त विश्व को आलोकित करते होंगे। अफसोस है कि, बौद्ध धर्म की थाती अर्थात  विश्व-गुरू का यह दर्जा भारत लम्बे समय तक बरकरार न रख सका और परवर्तित काल में उस भगवान् बुद्ध के धर्म को ही उसने इन गुफाओं में ही दफन कर दिया।
 समय का चक्र घूमता है और अंग्रेजों को इन गुफाओं की सुध आती है। अंग्रेजों ने इन पर जमी घूल और मिट्टी साफ किया और दुनिया को  बतलाया कि भारत वह नहीं है, जो दिखता है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, जिसके जिम्मे अंग्रेजों का वह छोड़ा हुआ कार्य आया,  बौद्ध अवशेषों के साथ वह न्याय नहीं कर पा  रहा है जिसकी कि यह खनन-कार्य अपेक्षा रखता है। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि उत्तरोतर काल में कई परस्पर विरोधी संस्कृतियों का इन बौद्ध-गुफाओं पर हमला हुआ और जो सतत जारी है।

जैसे कि उपर कहा जा चुका है, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा उदयगिरी पहाड़ियों की ये गुफाएं संरक्षित है। पुरातत्व विभाग की माने तो इन गुफाओं का चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन-काल अर्थात 4-5 वीं सदी में ‘पुनरुद्धार’ हुआ है। गुफाओं में हिन्दू देवी-देवता की मूर्तियां तो यथावत हैं किन्तु बौद्ध मूर्तियां और अवशेष गायब हैं। बताया गया है कि अशोक की प्रसिद्ध सिंह लाट ग्वालियर के संग्राहलय में रखी हुई है।

उदयगिरी में कुल 20 गुफाएं है। ये गुफाएं बेतवा और वैस नदी के बीच में अवस्थित हैं। प्रतीत होता है, गुफाएं उदयगिरी की पहाड़ियों की पूर्वी ढाल को खोदकर तराशी गई है। कहा जाता है कि जब विदिशा, धार के परमारों के हाथ में आया तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नामकरण करवा दिया। नामकरण का यह सिलसिला आज भी जारी है।   

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