Tuesday, February 25, 2020

मात-पितु वन्दनीया

मात-पितु वन्दनीया
मात-पितु जग जननीया, वन्दनीया।
माता-पिता जग को जन्म देने वाले वन्दनीय है।
लोकस्स दस्सेतारो, सब्बेहि पूजनीया।
लोक दर्शन कराने वाले, सभी के द्वारा पूजनीय हैं।
गब्भकालतो, सिसुकालतो,
गर्भकाल से, बचपन से
ते सन्तानं धारेन्ति, पालेन्ति
वे सन्तान को धारण करते हैं, पालन करते हैं ।
यं किंचि बालक, बालिका पत्थेन्ति
जो कुछ बालक, बालिका मांगते है,
तं सब्बं तेसं देन्ति।
वे सब उन्हें ला देते हैं।
कदाचि मात-पितरो फरुसं भासन्ति,
कभी माता-पिता कठोर वचन बोलते हैं,
पन तं तेसं हिताय, सुखाय च।
किन्तु वह उनके हित और सुख के लिए होता है।
तेन कारणेन सब्बे जना
इसी कारण से सभी लोग
मात-पितूनं मानेन्ति, तेसं वचनं अनुपालेन्ति।
माता-पिता को मानते, उनके वचनों का अनुपालन करते हैं।
मात-पितूनं सेवा सेट्ठं सेवा
माता-पिता की सेवा उत्तम सेवा है।
यं अत्तनो महत्तारो मात-पितूनं
जो अपने बुजुर्ग माता-पिता की
उपट्ठानं करोन्ति, सेवन्ति
देख-भाल करते हैं, सेवा करते है,
ते यसो च लोके कित्ति लभन्ति।
वे यश और लोक में कीत्ति प्राप्त करते हैं।

No comments:

Post a Comment