भिक्खु प्रज्ञानंद एक ख्याति प्राप्त बौद्ध
भिक्खु थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन बुद्ध धम्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित
कर दिया। पूज्य भिक्खु गलगेदर प्रज्ञानंद जी का जन्म सिरिलंका के कैंडी जिले के
गिरधर गांव में 18 दिसंबर
1927 को एक साधारण परिवार में हुआ था। चार भाइयों और एक बहन के बीच में
अपने माता पिता की वे चौथी संतान थे।
पूज्य अनागारिक धर्मपाल द्वारा स्थापित 'महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया' द्वारा भारत में धर्म प्रचार के लिए भिक्खु की आवश्यकता हेतु एक विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें पूज्य भिक्खु गलगेदर प्रज्ञानंद ने अपने माता-पिता की अनुमति से आवेदन किया था और लिखित एवं साक्षात्कार परीक्षा के आधार पर वह प्रथम स्थान पर चयनित हुए थे। 1941 में वे भारत आए और 1942 में भिक्खु बन गये।
पूज्य भिक्खु कृपाशरण के शिष्य पूज्य भिक्खु बोधानंद ने, पूज्य भिक्खु प्रज्ञानंद को बुद्ध विहार रिसालदार पार्क लखनऊ में धम्म प्रचार का उत्तरदायित्व सौंपा। पूज्य भिक्खु बोधानंद के निर्वाण के बाद पूज्य भिक्खु गलगेदर प्रज्ञानंद रिसालदार पार्क बुद्ध विहार के विहाराध्यक्ष बने।
1948 और 1951 में जब परम पूज्य बाबासाहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर विभिन्न धर्मों के गहन अध्ययन में लीन थे उस वक्त पूज्य भिक्खु बोधानंद के आमंत्रण पर लखनऊ आये और बौद्ध धम्म अपनाने को लेकर विस्तृत चर्चा परिचर्चा की। 14 अक्टूबर 1956 में बाबासाहेब के दीक्षा ग्रहण समारोह में उपस्थित प्रमुख भिक्खुओं में से भिक्खु ग. प्रज्ञानंद भी थे।
तत्पश्चात भिक्खु प्रज्ञानंद ने पूरे भारत में श्रमणेर प्रव्रज्या शिविर और बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह आयोजित करवाये और अपने जीवन काल में लगभग 1200 भिक्खु 5000 सामनेर-सामनेरियां तथा 2 लाख लोगों को बौद्ध धम्म में दीक्षित किया। देशभर में लगभग 1500 बुद्ध विहार उनकी प्रेरणा और अथक प्रयासों से ही स्थापित हुए और वर्तमान समय में वे धम्म के प्रचार प्रसार में बड़ी लग्न और मेहनत से लगे हुए थे। श्रावस्ती में बौद्ध धम्म के इतिहास की खोज के लिए जापान सरकार की सहायता से उत्खनन का कार्य और जेतवन इंटर कॉलेज की स्थापना का श्रेय भिक्खु प्रज्ञानंद जी को ही जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, उ प्र अल्पसंख्यक आयोग के संस्थापक सदस्य भिक्खु प्रज्ञानंद लंबी बीमारी के बाद लखनऊ में 30 दिसम्बर 2017 को परिनिर्वाण को प्राप्त हुए.
पूज्य भिक्खु प्रज्ञानंद जी के अंतिम संस्कार में श्रीलंका के राष्ट्रपति और
प्रधानमंत्री के शोक संदेश लेकर वहां के सांस्कृतिक मंत्री, श्रीलंका के प्रमुख भिक्खु, भारत सरकार की प्रतिनिधि के रूप
में स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय मंत्री जायसवाल, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री
श्री केशव प्रसाद मौर्या, नेपाल
सरकार के प्रतिनिधि, जापान, बर्मा, थाईलैंड, चीन आदि के श्रावस्ती में स्थित
प्रमुख बुद्ध विहारों के विहाराध्यक्ष, महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के
अध्यक्ष भदंत पी. सिवली के नेतृत्व में, भदंत ज्ञानेश्वर, भिक्खु चंदिमा सहित विभिन्न
पार्टीयों के बौद्ध अनुयायियों सहित हजारों की संख्या में आम एवं खास लोग शामिल
हुए और
पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार श्रावस्ती के जेतवन के पास चाइनीज टेंपल
के अहाते में सम्पन्न हुआ। भिक्खु प्रज्ञानंद जी के शिष्यों में से प्रमुख शिष्य भिक्खु देवेंद्र, भिक्खु डॉ उपानंद, भिक्खु प्रज्ञासार, भिक्खु सुमनरत्न हैं; जो बुद्ध धम्म के प्रचार प्रसार में अपनी महती
भूमिका अदा कर रहे हैं। हम सबके लिए पूज्य भिक्खु ग.प्रज्ञानंद जी प्रेरणा के
स्रोत है
पूज्य अनागारिक धर्मपाल द्वारा स्थापित 'महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया' द्वारा भारत में धर्म प्रचार के लिए भिक्खु की आवश्यकता हेतु एक विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें पूज्य भिक्खु गलगेदर प्रज्ञानंद ने अपने माता-पिता की अनुमति से आवेदन किया था और लिखित एवं साक्षात्कार परीक्षा के आधार पर वह प्रथम स्थान पर चयनित हुए थे। 1941 में वे भारत आए और 1942 में भिक्खु बन गये।
पूज्य भिक्खु कृपाशरण के शिष्य पूज्य भिक्खु बोधानंद ने, पूज्य भिक्खु प्रज्ञानंद को बुद्ध विहार रिसालदार पार्क लखनऊ में धम्म प्रचार का उत्तरदायित्व सौंपा। पूज्य भिक्खु बोधानंद के निर्वाण के बाद पूज्य भिक्खु गलगेदर प्रज्ञानंद रिसालदार पार्क बुद्ध विहार के विहाराध्यक्ष बने।
1948 और 1951 में जब परम पूज्य बाबासाहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर विभिन्न धर्मों के गहन अध्ययन में लीन थे उस वक्त पूज्य भिक्खु बोधानंद के आमंत्रण पर लखनऊ आये और बौद्ध धम्म अपनाने को लेकर विस्तृत चर्चा परिचर्चा की। 14 अक्टूबर 1956 में बाबासाहेब के दीक्षा ग्रहण समारोह में उपस्थित प्रमुख भिक्खुओं में से भिक्खु ग. प्रज्ञानंद भी थे।
तत्पश्चात भिक्खु प्रज्ञानंद ने पूरे भारत में श्रमणेर प्रव्रज्या शिविर और बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह आयोजित करवाये और अपने जीवन काल में लगभग 1200 भिक्खु 5000 सामनेर-सामनेरियां तथा 2 लाख लोगों को बौद्ध धम्म में दीक्षित किया। देशभर में लगभग 1500 बुद्ध विहार उनकी प्रेरणा और अथक प्रयासों से ही स्थापित हुए और वर्तमान समय में वे धम्म के प्रचार प्रसार में बड़ी लग्न और मेहनत से लगे हुए थे। श्रावस्ती में बौद्ध धम्म के इतिहास की खोज के लिए जापान सरकार की सहायता से उत्खनन का कार्य और जेतवन इंटर कॉलेज की स्थापना का श्रेय भिक्खु प्रज्ञानंद जी को ही जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, उ प्र अल्पसंख्यक आयोग के संस्थापक सदस्य भिक्खु प्रज्ञानंद लंबी बीमारी के बाद लखनऊ में 30 दिसम्बर 2017 को परिनिर्वाण को प्राप्त हुए.
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